मनुष्य का जन्म कितनी बार होता है | मनुष्य का जन्म क्यों होता है?

मनुष्य का जन्म कितनी बार होता है | मनुष्य का जन्म क्यों होता है? दोस्तों हम सभी बार-बार सोचते हैं कि इंसान बार-बार क्यों पैदा होता है और बार-बार क्यों मरता है। आपने देखा होगा कि जब बच्चे का जन्म होता है तो घर में हर तरफ खुशियां ही नजर आती हैं।

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लेकिन जब किसी की मौत हो जाती है तो चारों तरफ मातम छा जाता है। जब मनुष्य मरता है तो हम कहते हैं कि आत्मा ने शरीर छोड़ दिया है। गरुण पुराण में बताया गया है कि आत्मा उस घर में 13 दिन रहती है। 

दोस्तों, लेकिन यह आत्मा आम आदमी को दिखाई नहीं देती है, कभी-कभी यह आत्मा उस व्यक्ति को दिखाई देती है। 

जिससे यह व्यक्ति बहुत जुड़ा हुआ है, दोस्तों हम आपको बता दें कि यह व्यक्ति माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त या प्रेमी या प्रेमिका है जो उसे 13 दिनों तक दिखाई दे सकता है, जिससे इस व्यक्ति का बहुत लगाव होता है।

जब परिवार के लोग मृतक की आत्मा लिए पिण्ड दान करते है। तब यह आत्मा पिंड का रूप लेकर 14 वें दिन यमलोक को प्रस्थान करती है। 

दोस्तों यह बात भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता में भी कही है। कि जिस शरीर की मृत्यु होती है और जो व्यक्ति मृत्यु के समय यानि अंतिम क्षण में जिसकी याद में मर जाता है।

तो उसे उसी योनि में जन्म मिलता है। दोस्तों हम आपको एक बात बता दें कि एक व्यक्ति अपने पिता से बहुत प्यार करता है लेकिन उसके पिता की मृत्यु हो जाती है, इसलिए जब उस व्यक्ति की मृत्यु का समय आता है, तो वह अपने पिता को अंतिम क्षण में बहुत याद करता है।

लेकिन उनके पिता की मृत्यु बहुत पहले हो चुकी थी, यदि वह व्यक्ति मृत्यु के समय अपने पिता को याद करता है, तो वह पृथ्वी पर हमेशा के लिए भूत बन जाएगा और भूत बनकर एक दूसरे को परेशान करेगा। 

एक बार भरतमुनि को एक हिरण का बच्चा जंगल में घायल अवस्था में मिला। भरतमुनि उस बच्चे को अपने आश्रम में ले आए। और उसका पालन पोषण करते थे। 

जब भरतमुनि का अंतिम समय आया तो उनका ध्यान केवल हिरन के बच्चे में ही रहा क्योंकि वह सोच रहे थे कि मेरे मरने के बाद हिरण के बच्चे को शेर खा सकता है। इसलिए भरतमुनि को हिरण की योनि में ही जन्म मिला। 

इसका अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के समय अपनी अंतिम सांस लेता है, तो उसे केवल भगवान का स्मरण करना चाहिए ताकि वह वैकुंठ धाम को प्राप्त कर सके।

जब किसी व्यक्ति की इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं तो उसे पृथ्वी पर बार-बार जन्म लेना पड़ता है। इसलिए यह जन्म मरण का चक्र ऐसे ही चलता रहता है।

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निष्कर्ष - दोस्तों, लगभग सभी जानते हैं कि आत्मा अमर है, इसलिए मृत्यु के समय यानि अंतिम क्षण में हमें भगवान का स्मरण करना चाहिए ताकि जन्म मरण से मुक्ति मिल सके। 

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