अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है(Akal mrityu ke baad aatma kahan jati hai) | मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है? गरुड़ पुराण के अनुसार जब कोई मनुष्य स्वयं अपने हाथों से आत्महत्या करता है या फिर किसी दूसरे तरीके से उसकी मृत्यु होती है
जैसे कि फांसी लगाकर, आग से जलकर, या नदी में डूबने से, सांप के काटने से या फिर जहर खाकर आत्महत्या करता है। तो उसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा जाता है।
तो उस मनुष्य की आत्मा को गरुड़ पुराण के अनुसार प्रेत योनि में जाना पड़ता है। वह प्रेत आत्मा मृत्यु के बाद धरती पर ही रहती है जब तक कि उसके सभी चक्र पूरी नहीं हो जाते ऐसा माना जाता है कि हर मनुष्य के जीवन के प्रकृति द्वारा निर्धारित सात चक्र होते हैं।
अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है | Akal mrityu ke baad aatma kahan jati hai
यदि किसी मनुष्य को किसी दूसरे व्यक्ति ने मार दिया हो जैसे- गोली मारकर, सर्प के काटने से, धोखे से बिष देकर, एक्सीडेंट से तथा किसी अन्य तरीके से तो व्यक्ति की आत्मा को भगवान एक चांस और दे देते हैं।
और उस व्यक्ति का पुनर्जन्म हो जाता है ऐसा गरुड़ पुराण में बताया गया है। लेकिन स्वयं आत्महत्या करने एवं अकाल मृत्यु के बाद आत्मा को न तो स्वर्ग प्राप्त होता है और ना ही नर्क प्राप्त होता है बल्कि उसे प्रेत योनि में जाना पड़ता है। ऐसे में मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है। लेकिन उनकी इच्छाएं अधूरी रह जाती है।
धरती पर प्रेत आत्मा कामवासना, भूख -प्यास एवं अधूरी इच्छाओं को पूरी करने के लिए धरती पर इधर-उधर भटकती रहती है। जब उस प्रेतात्मा की सभी इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं तो फिर से वह यमलोक पहुंचता है।
मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है
मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन धरती पर रहती है?
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