35 Best Akbar Birbal Stories In Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां इन हिंदी

आज हम इस आर्टिकल में Akbar Birbal Stories In Hindi  के बारे में  बताने वाले हैं। यह अकबर और बीरबल की कहानियां इन हिंदी में दी हुई हैं। इन कहानियां को पढ़ने में आपको बहुत ही मजा आने वाला है।

इसके अलावा हमने Akbar birbal chutkule in hindi एवं jokes akbar birbal Hindi me  दिए गए हैं।  कुछ Short story of birbal in hindi दी हुई हैं। 

Best Akbar Birbal Stories In Hind

35 Best Akbar Birbal Stories In Hindi

1. भाग गया दिल्ली का पहलवान - Akbar Birbal Stories In Hindi

अकबर बादशाह के दरबार में एक दिन एक पहलवान गया।  और बोला हुजूरमैं सम्राट कृष्ण्देवराय के दरबार में कई पदक जीत चुका हूं।  मुझे पराजित करने वाला कोई पहलवान हो तो सामने आवे।  

ताल ठोक कर दांव लगाने लगा और बीच दरबार में खड़ा हो गया।  वह पहलवान सचमुच बड़ा मशहूर था इसलिए उससे लड़ने कोई नहीं आया।  और अकबर बादशाह चारों ओर सन्नाटा देख बोल उठे।
Akbar Birbal Stories In Hindi

जो पहलवान इसे  पराजित करेगा उसे 1000 अशरफिया दी जाएगी। अकबर बादशाह की घोषणा सुनकर भी किसी ने कुश्ती लड़ने की हिम्मत ना दिखाई। अकबर बादशाह का मुख मंडल चिंता से भर उठा, उन्होंने एक बार भरी सभा में दृष्टि दौड़ाई।  

देखते क्या है कि बीरबल आगे  रहा है।  उसने कहा हुजूर ! आपकी आज्ञा हो तो मैं उस पहलवान को पराजित कर सकता हूं। अकबर बादशाह को आश्चर्य हुआ।
 
फिर भी उन्होंने घोषणा की, मल्ल्युद्ध की स्पर्धा कल होगी।  दूसरे दिन सुबह-सुबह बीरबल दिल्ली के पहलवान के डेरे में पहुंचा।  बातचीत के बाद पूछा क्या तुम युद्ध के "स्वर, और "लय, से भी परिचित हो।  

दिल्ली के पहलवान ने मल्ल्युद्ध  के स्वर और लय  की बात कभी सुनी थी।  इसलिए उसका चेहरा सफेद पड़ गया।  यह कहने में उसे लज्जा की बात प्रतीत हुई कि मैं नहीं जानता।  इसलिए बोला हां हां क्यों नहीं जानता, जरूर जानता हूं।
 
बीरबल ने कहा, तुम जानते हो तो कहना क्या ! आज का मल्ल  युद्ध उसी "स्वर,, और "लयकी शैली में होगा। अच्छा अब मुझे आज्ञा दो अखाड़े में मिलेंगे।  यह कहकर बीरबल ने पहलवान से हाथ मिलाया और वापस चला आया।  

बीरबल के जाते ही दिल्ली के पहलवान ने सोचा, कि स्वर और लय  की शैली वाला मल्लयुद्ध तो वह नहीं जानता।  इसलिए उसका अपमान होगा।  शाम को अद्भुत मल्ल युद्ध देखने के लिए हजारों लोग पहुंचे। लेकिन दिल्ली के पहलवान का कहीं पता था।  और वह लकड़हारे  का भेष  बनाकर राज्य से भाग गया था  

 2. ऊँगली का संकेत  कहानी - Akbar Birbal Stories In Hindi

अकबर बादशाह के दरबार में एक उच्च  घराने का एक बड़ा होनहार सरदार रहता था।  उसकी  आजीविका एवं ग्रह खर्चे करने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं थी   

इस प्रकार उसका खर्चा भली -भातिं नहीं चलता था।  फिर भी वह राजा के दरबार में आकर अपने बड़ों के चलाएं नियम और परंपरा का पालन किया करता था।
Akbar Birbal Stories In Hindi

वह दोनों समय के दरबार में ठीक समय पर उपस्थित हुआ करता था।  बड़ी मेहनत करके एक जोडी कपड़ा बस इसी कार्य के लिए रख छोड़ा था। 

दरबार से आने पर वह घर आकर चक्की पीसकर अपनी रोजी-रोटी चलाता था।  शिवा एक चक्की के उसके पास और कुछ कोई धन अर्जित करने का कोई साधन नहीं था।
 
और ना ही उसके पास कोई धन बचा था।  ऐसी लाचारी दशा का भुक्तभोगी सरदार फिर भी अपने बाप दादों का बनाया नियम को नहीं तोड़ता था।  1 दिन सफाई का काम बहुत ज्यादा गया था इसलिए कार्य व्यवस्था के कारण लाचार होकर दरबार में उपस्थित हो सका।
 
तन्मय होकर चक्की चलाता ही रहा।  नृत्य के समय पर बादशाह की सवारी निकली और मियां सरदार के घर के पास होकर चली।  सरदार का घर जनसाधारण गृहस्ती की तरह कच्चा और 1 मंजिला मकान हुआ करता था।

दीवाल में कई जगह दरार आने से  मकान अच्छा नहीं लगता था।  इस प्रकार राह में चलते हुए राही उसका उपहास करते रहते थे और उपहास करके निकल जाते थे।
 
मियां सरकार चक्की चलाते- चलाते दौसा बजना पूर्ण कर अपने आंगन से राजा की सवारी देख रहे थे।  अचानक  राजा की दृष्टि भी सरदार पर जा पड़ी।  राजा ने सरदार को पहचान लिया।  

दूसरे दिन सरदार को दरबार में उपस्थित होने के लिए कहा।  दूसरे दिन दरबार में उपस्थित होने पर राजा के मन में मियां सरदार के संबंध में उनकी आमंदनी की स्थिति की विशेष जानकारी प्राप्त करने की इच्छा हुई।
 
तुरंत मन ही मन बात  को दबाकर  खामोश  रह गए।  कुछ दिन बाद 1 दिन फिर बादशाह का दरबार बड़े समारोह के साथ चला।  एक मियां साहब भी  सरदारों की तरह सज-धज कर अपने स्थान पर बैठे हुए थे।  

हिंदू -मुस्लिम  सभी दरबारी भी योग्यता अनुसार अपने स्थान पर विराजमान थे इसी बीच राजा आकर सभा के मध्य एक सोने के आसन पर विराजमान हुए।  बारी बारी से सब की तरफ देखते हुए राजा ने अपनी दृष्टि उन मियाजी पर भी डाली। 
 
और सरदार वाली बात फिर से स्मरण हो गई। पहली बात पूछने के लिए आज फिर भी उनका मन चंचल हो उठा परंतु विचार विनिमय के सामने हार माननी पड़ी।  बात भी सच्ची थी।  शोभा नहीं देता था।  

इसलिए राजा ने अपने हाथ की अगली घुमा कर कुछ संकेत किया मियां सरदार  ने और संकेत का  मतलब अपने पर समझकर अपने पेट पर उंगली रखते हुए बादशाह को दिखलाया बादशाह की ऊगली सवालों से खाली नहीं थी।
 
अच्छी बात पर चाहे उनका ध्यान भले ही जाता परंतु ऐसी बातें तो उनकी आंखों पर नाचा करती थी।  सभी दरबारियों ने मियां और बादशाह के उपरोक्त संकेतों को देख लिया था।  

सभी दरबारियों के मन में उनको लेकर, अनेकों प्रकार के प्रश्न उठने लगे।  दरबार समाप्त होते 1 धूर्त जाकर मियां सरदार जी का घर देख आया।  दूसरे दिन कई भक्तों की मंडली बनाकर मियां जी के मकान पर पहुंचा।  जैसा ग्रस्त का धर्म है।
 
मियां जी ने सबको बड़े आदर सत्कार के साथ बिठाया।  थोड़ी देर बाद चांडाल चौकड़ी के मुखिया ने मियां जी से पूछा।  महाशय जी कल दरबार के समय बादशाह के आने के बाद इसारो में आपसे क्या कहा था।  एक वह संकेतक बात हम लोगों की समझ में नहीं आई।  

हम उसे जानने के लिए बहुत ही लालायित हैं।  मियां सरदार के मन में संदेह हो गया उन्होंने अनुमान लगाया कि कल बादशाह के संकेत करने से इन लोगों के मन में मेरे संबंध में संदेह उत्पन्न हो गया है। 

इनको उल्लू बनाकर फसाना चाहिए।  उसने उत्तर दिया ! वो तेरी बाते  मेरे  कहने योग्य नहीं होती उनका भेद खुल जाने से बड़ा नुकसान होता है।  चांडाल चौकड़ी का मुखिया आग्रह पूर्वक जोर-जोर पूछने लगा तब फिर मियां सरदार जी बोले।  

देखो भाई बादशाह  ने आप लोगों की तरफ इशारा करके मुझसे पूछा था कि इन लोगों की कोई बात जानते हो।  मैंने उस वक्त तो वही रोक कर अपनी ऊगली पेट पर रखकर समझ समझा दिया कि हमारे पेट में है।
 
मियां जी फिर भट्ट की बात  सुनाकर  चांडाल चौकड़ी को घबरा दिया और उस सबों ने अपनी भविष्य की भलाई के लिए उनके रिश्वत देने का विचार प्रकट किया।  

सरदार  जी की गर्दन टेढ़ी की टेढ़ी बनी थी।  वह सब घर से हैसियत के अनुसार कोई सो कोई 200 कोई 500 कोई गठरी ले आकर मियां जी के सामने रख दी।
 
मियां जी मजे में पक्की मारकर सब देख रहे थे।  अपनी-अपनी टोपी सरदार के कदम पर रखकर बोले सरदार जी कृपया करके हमारी यह बातें अपने पेट में ही रखना।  खुलने पावे।  

इसी के लिए आपको यह भेट दे रहे हैं। मियां जी बड़ी गंभीरता से बोले जो आप लोगों की इच्छा है मैं तो ऐसा ही करूंगा ! आप लोगों पर ईश्वर पसंद है।  जो कल के संकेत की बातें समझ कर पहले से ही होशियार हो गए।
 
चांडाल चौकड़ी इसका घूस देकर वहां से भाग खड़े हुए।   दूसरे दिन बादशाह , मिया सरदार के घर गया।  मियां जी ने बड़े आदर सत्कार के साथ बादशाह का स्वागत किया और एक कुर्सी पर बिठाया।  

फिर घूस  में मिली रकम उसके सामने रखकर बड़ी कृतज्ञता प्रकट करने लगे।  उस गरीब के घर एकाएक इतना काफी दर्द देख कर बोले मियां जी आप चक्की पीस कर अपनी जीविका चलाते थे।
 
फिर इतना धन कहां से आया।  मियां जी मुस्कुराते हुए बोले जहाँपनाह  कल आपने दरबार में जो मेरे लिए संकेत दिया था।  यह सब उसी का फल है।  बादशाह  को इतने से संतुष्ट नहीं हुआ तो उनके मुख से सारी बातें और भी स्पष्ट करना चाहते थे।  

इसलिए पूछा भाई यह तू कैसी गोल मटोल बातें कर रहा है मेरी समझ में नहीं आती। फिर  सरदार ने सारा किस्सा कह सुनाया बादशाह उनकी चालाकी से अति प्रसन्न हुए और घूस में मिली रकम को उसको देख कर लौट गए। 

दूसरे दिन वही सरदार दरबार में एक खास पद पर नियुक्त कर लिया गया। दूसरों का मन एकदम टूट गया और फिर किसी कर्मचारी को जिस भावना से नहीं देखते थे।  इस प्रकार उन सभी तत्वों की अकल ठिकाने गई।

3.  बहरूपिया द्वारा सिंह का सॉन्ग - Akbar Birbal Stories In Hindi

एक दिन दिल्ली के  काजी से बीरबल की धर्म संबंधी चर्चा छिड़ी। जब काजी सब प्रकार से हार गया तो  उसे अंदर ही अंदर ऐसी बात के लिए बड़ी लज्जा उत्पन्न हुई।  

और अपने मन में बीरबल को मार डालने का प्रण कर लिया।  यह  दृढ़ निश्चय कर के वह घर जाने के बहाने बादशाह से छुट्टी लेकर नगर से बाहर किसी दूसरे गांव में चला गया।

Akbar Birbal Stories In Hindi

और वहां अपना नाम पता छिपाकर  बहुरूपिया का रूप लेकर रहने लगा।  जब वह उस कार्य में होशियार हो गया तो  बहुरूपिया  का रूप धारण कर दिल्ली लौटा।  

शहर में कई जगह उसने नए-नए सॉन्ग निकाले जिससे लोगों में उसकी कला की चर्चा फैल गई।   धीरे-धीरे यहा तक कि यह बात  बादशाह के पास भी पहुंच गई।  बादशाह को उसका सॉन्ग देखने की बहुत ही प्रबल इच्छा हुई।
 
एक दिन शाम को सिपाही भेजकर उसे बुलाया और  और उससे कोई नया सॉन्ग दिखाने की आज्ञा दी।  वह बोला   महाराज ! मैं सिंह का स्वांग  करना  का बहुत अच्छी तरह जानता हूं। 

परंतु उसमें खून भी हो जाने की आशंका रहती है।  आपकी तरफ से मुझे एक खून की माफी दी जाए तो मैं भले ही उसे आपको दिखाने का उपाय करूं।   स्वांग  के समय वहां पर दीवान का भी रहना अत्यंत आवश्यक है।
 
बादशाह ने  उसे एक खून की माफी दे दी।  जब बेहरूपिया अपने घर चला गया तो बादशाह बोले बीरबल जाते समय बेहरूपिया कहता गया के बिना बीरबल के स्वांग नहीं दिखलाया जाएगा इसलिए उस समय तुमको भी वहां उपस्थित रहना होगा।  लाजमी है।  

बीरबल ने बादशाह की आज्ञा को  स्वीकार कर लिया। परंतु उसी वक्त बहरूपिया की बातों का सिलसिला मिलाने से ज्ञात हो गया कि वह हो ना हो कुछ दाल में काला अवश्य है।  यह मुझे धोखा देना चाहता है।  इधर बादशाह  की आज्ञा का पालन करना भी जरूरी है।  

दूसरे दिन ठीक समय पर बीरबल दरबार में हाजिर हो गए।  इधर बहरूपिया भी सिंह का स्वाँग  बना कर   उछलने और  तड़पने लगा।   उसकी कला   और चतुरी  देखकर  बादशाह मोहित हो गए।
 
सभी लोग उसकी कला  पसंद  करने लगे।  इतने में वह बनावटी शेर  बीरबल पर झपटा।   यह दृश्य देखते ही लोगों को बीरबल के मरने की आशंका हुई।   बहूरुपिये  ने बीरबल को मार डालने के विचार से अधिक परिश्रम किया।

मारा जाना तो दूर रहा उसके बदन से एक टोपा खून भी बाहर नहीं निकला।   सभा के लोग इस बात को देखकर दंग रह गए।
 
बीरबल तो पहले ही से इसकी कपट मुद्रा को जान गए थे।   इस प्रकार बीरबल पहले से ही अपने शरीर पर शुद्र कवच पहन कर आया था।  उसके शरीर को जख्म ना पहुंच सका।  

बादशाहा बीरबल को जीवित देखकर प्रसन्न हुए।  बात छुपाने के उपाय से बीरबल ने उस बहुरूपिये  की बड़ी प्रशंसा की।  बादशाह ने बीरबल से पूछा कि इस को क्या इनाम देना चाहिए। 
 
बीरबल ने कहा कि उसको 12 महीने के लिए दीवान पद पर नियुक्त करना चाहिए।  बहरूपिया का यह सुनकर रोम रोम प्रफुल्लित हो गया।  बीरबल ने कहा जो सती का स्वांग  ठीक - ठीक करके दिखलाए तो ऊपर की शर्तें मानी जाएगी  अन्यथा नहीं।  बादशाह ने उस बात को अपनी जुबान से दोहरा कर  बहुरूपिया को कहा।
 
तो  कल सती का सही-सही सॉन्ग कुशलता पूर्वक दिखलाएगा  तो तुझे 1 वर्ष का दीवान पद दिया जाएगा।  और यदि चूक जाओगे तो प्राण दंड दिया जाएगा।  

बहरूपिया  ने इस बात को स्वीकार कर लिया और दूसरे दिन उसी समय  सती स्त्री का रूप धारण करके दरबार में हाजिर हुआ।  बीरबल  ने भी उसकी दवा दारू का इंतजाम पहले से ही कर रखा था।  पत्थर के कोयलो  का एक कुंड पहले ही आग से धधक  रहा था।
 
कुंड को देखते ही  बहुरूपिया का होश ठिकाने  रहा।  उसने समझ लिया कि कल का प्रतिशोध करने के लिए ही  बीरबल ने खुराफात  खड़ा किया है।  अब यहां से जान बचा कर बाहर निकलना कठिन है।  

बिना अग्नि में बैठ कर बाहर निकले वह  स्वांग पूर्ण नहीं हो सकता।  उसका मन  अंदर से घबरा गया।  एक बार उसके मन में आया कि अपना भेद बादशाह से प्रकट कर दे।
 
परंतु फिर भी अनेक कठिनाइयां उपस्थित होने की संभावना  पाकर चुप हो गया।  अंत में जब सती का स्वांग दिखलाते - दिखलाते  अग्नि में प्रवेश का समय आया।  तो उस समय अग्नि कुण्ड में  कूदकर  अपने  प्राण त्याग दिया।
  
उसके मित्र थेवो  लोग असली मर्म नहीं जानते थे  वे  बहुत  दुखी हुए।  परन्तु  बीरबल को  अनेक प्रकार से उसका भेद मालूम हो गया था।  इसलिए सब लोगों को समझा दिया।
 
इतना ही नहीं बल्कि बादशाह के सामने बीरबल ने कई  गवाहों  द्वारा गवाही दिलवा कर अपनी बात प्रमाणित कर दी।  बादशाह बीरबल की युक्ति से बड़े प्रसन्न हुए और नीति पूर्वक बल से शत्रु के मरने की चाल उन्हें बहुत पसंद आई।  इसके बदले बीरबल को कुछ इनाम भी दिया।
 

 4. बेवकूफों की सूची - Akbar Birbal Stories In Hindi

एक बार राजा अकबर के दरबार में एक अरब देश के घोड़ों का व्यापारी कुछ घोड़े  लेकर आया।  अकबर बादशाह को अरबी घोड़े बहुत पसंद थे और उन घोड़ों को देखकर उनका मन खरीदने के लिए ललचा गया।  उसके पास जितने घोड़े थे।  

वह सभी बादशाह ने खरीद लिए तथा और भी घोड़े खरीदने का ऑर्डर दे दिया।  व्यापारी  दूर- देश का था।  यह सोचकर अकबर ने उसे 1000 रूपये  और दे दिए ताकि घोड़ों को ला सके किंन्तु उसका नाम - पता लिखना भूल गए और  व्यापारी भी अपने देश को चला गया।
 
कुछ समय बाद अकबर बादशाह ने बीरबल से कहा कि हमारे राज्य में मूर्खों की संख्या बहुत अधिक है  इसलिए  राज्य  में  जितने भी मूर्ख हैं उनकी नामावली हम देखना चाहते हैं।  

तथा राज्य में जितने भी मूर्ख हैं उन सबको हमारे सामने पेश करो।  यह सुनकर बीरबल ने कहा बहुत अच्छा सरकार यह  कहकर दूसरे कमरे में अपना कार्य प्रारंभ करने लगे। 

दूसरे दिन  मूर्खों की नामावली तैयार हो गई और राजा के समस्त पेश की।  सबसे पहले राजा का नाम था।   यह देख कर बादशाह बड़े  आश्चर्यचकित हुए।  और बीरबल से इसका कारण पूछा  तो बीरबल ने नम्रता पूर्वक इसका उत्तर दिया- जहांपनाह ! जो घोड़ों का  व्यापारी आया था।
 
उसको  आपने बिना नाम पता  जाने ही उसे 1000 रूपये एडवांस दे दिया।  जरा ध्यान पूर्वक विचार कीजिए यदि वह व्यापारी घोड़े लाए तो आप उसका क्या कर सकते हैं।   

नाम पता भी तो मालूम नहींक्या यह मूर्खता नहीं है।  इससे बढ़कर कौन बेवकूफ हो सकता है।  राजा ने मन ही मन अपनी गलती पर पश्चाताप किया लेकिन इस तरह बीरबल की बात से क्यों हार मान जाते। 

बादशाह ने कहा कि मान लो यदि सौदागर  घोड़ा लेकर गया  तो, तब बीरबल ने उत्तर दिया तब  आपके स्थान पर उसका नाम लिख दूंगा राजा इससे और भी शर्मिंदा हो गए।   हमें इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि कुछ भी करने से पहले हमें सोच समझ लेना चाहिए।
 

5. दाढ़ी मैं कितने बाल हैं| Akbar Birbal Stories In Hindi

1 दिन दरबार में बैठे हुए बादशाह ने पूछा तुम तो अपनी पत्नी का हाथ दिन में एक दो- दफा  हाथ  अवश्य स्पर्श करते होगे।  तो  क्या आप बता सकते  हो कि तुम्हारी पत्नी के हाथ में कितनी  चूड़ियां हैं।  

बीरबल  बड़े असमंजस में पड़ गए।  क्योंकि उन्होंने हाथ की चूड़ियों की कभी गिनती की थी।  और ना वह झूठ ही बोलना चाहते थे।
 
कुछ देर तक विचार कर बीरबल बोले जहांपनाह ! मेरा हाथ तो मेरी पत्नी के हाथों से दिन में एकाध बार ही  स्पर्श होता होगा।  लेकिन आपका हाथ तो आपकी दाढ़ी में दिन भर में 10 पांच बार लगता होगा। 

भला आप ही  बता दें कि आपकी दाढ़ी में कितने बाल हैं।  बादशाह  ने बात काटने की गरज से कहा दाढ़ी की गणना करना कठिन है किंतु हाथ की चूड़ियों को गिनना संभव हो सकता है।
 
वीरपुर बोले जहांपनाहस्त्रियां अपने पसंद के अनुसार कोई  कम तो कोई ज्यादा चूड़ियां पहनती हैं। अतः निश्चित  तादात  के  बिना गणना  बतलाना असंभव है।  

अच्छा  जनाब आप खाने में तो रोज ही जाते हैं।  ऊपर पहुंचने के लिए आपको सीढ़ियां चढ़ने पड़ती होगी।  क्या आप बता सकते हैं कि उस जीने में कितनी सीढ़ियां हैं।
 
बाद शाह  यह सुनकर बोले कभी उसको गिनने का अवसर ही मिला।  तब  बीरबल बोले जहांपनाह।  सीढ़िया  कभी बढ़ाई नहीं जा सकती इस पर भी आपने  निश्चित संख्या नहीं बतलाई तो में चूड़ियों की तादाद कैसे बतलाऊं। 

यदि सीढ़ियाँ गिनी जा सकती थी तो चूड़ियां गिन ने के दोषी हम जरूर थे।  किंतु जब उनका गिना जाना संभव था तो चूड़ियों ही कैसे गिनी जा सकती थी।  इस बात को सुनकर बादशाह बड़े प्रसन्न हुए।  और बीरबल की चतुराई देखकर उनको कुछ इनाम भी दिया।

6.  कंजूस शूम कहानी - Akbar Birbal Stories In Hindi

दिल्ली में एक  लालची शूम रहता था।  वह अपने परिश्रम और कृपडता के कारण रत्नों का एक बड़ा जखीरा  इकट्ठे किए हुए था।  यह उन रत्नों को एक  साधारण बंदूक में छुपा कर रखे हुए था।  

जिसे देखने वालों को उसमें इतना धन होने का भ्रम भी ना हो सके।  उसका घर भी साधारण ग्रस्तों के समान कच्चा टूटा फूटा था।  भला ऐसे मकान में रतन होने की कोई संभावना कैसे  कर सकता था।
 
एक दिन  देव योग के कारण मध्य रात्रि में उसके घर में आग लगी।  कंजूस उस आग को बुझाने की कोई तरकीब देखकर कुछ साधारण  कपड़ों को लेकर घर से बाहर निकल गया।  

यह बस उसके रोजमर्रा के काम आने वाले थे।  घर जलने की चिंता में  बेचारा कंजूस छाती पीट पीट कर रोने लगा। उसके रोने का शब्द सुनकर और आग की लपट देखकर उसके आस पड़ोस के बहुत से लोग इकट्ठे हुए।  

और सब लोगों में एक लोहार भी था।  लोहार ने कंजूस को फटकार ते हुए कहा इस साधारण झोपड़े के लिए तू इतना रुदल क्यों कर रहा है।  

इससे तेरा कौन सा बड़ा नुकसान हो जाएगा।   शूम  बोला भाई तू झोपड़ा जलता देख रहा है।  और मैं अपने सपनों को जलते देख रहा हूं।  फिर तू ही बता क्यों ना  रोता।
 
लोहार ने कहा वह धन कहां और किस चीज में रखा हुआ है।  तब शूम बोला  बगल की एक कोठरी दिखाते हुए बोला इसी कोठरी में एक काट की पुरानी संदूक रखी हुई है।  

इसमें 700000 लाख  के जवाहरात बंद हैं फिर  लोहार ने कहा।  यदि में  उन जबारातों को बाहर निकाल आऊंगा तो अपनी मनमानी तुझे दूंगा और बाकी मैं लूंगा।  सारा  संपत्ति जलते देख कंजूस ने उसकी बात मान ली।
 
और लोहार अग्नि से बचने की तरकीब जानता था।  इसलिए उस जलती हुई आग में आंख बंद कर कूद पड़ा और कोठरी में पहुंचकर उस काठ की संदूक को बाहर निकाल लाया।  इस प्रकार पिटारे को अपने बगल में रखकर अग्नि कांड देखने लगा।  

थोड़ी देर बाद जब अग्नि का वेग  कम हुआ और लोगों के हृदय में शांति आई। तो लोहार और शूम के बीच पिटारी के  मामले  का बट्वारा  हुआ।   जिस वक्त लोहार और कंजूस में ऐसी  शर्तें हुई थी उस समय लोहार ने एक और चालाकी की थी।
 
एक उस जगह के दो मनुष्यों को अपना गवाह बना लिया था।  गवाह के सामने ही वह पिटारी खोली गई।  पिटारी खोलते ही जवाहरातों  की चमक बाहर तक फैल गई।  

जैसे धन देखकर गवाहों की दशा होती है वही दशा लोहार की भी हो गई।  उस अनमोल रत्नों की ढेरी देखकर उसका मन फिर गया।  उसने पिटारी का सारा धन तो खुद  लिया और उस खाली पिटारी को बेचारे कंजूस के हवाले किया।
 
कंजूस लोहार की ऐसी अनीति देखकर बहुत चकराया और  गिड़गिड़ा कर कहने लगा भाई  आधा धन मुझे दे दो और बाकी आधा धन आप ले लो।  इसमें मेरी राजी है।  

लोहार डांट कर बोला क्यों पहले मेरे तेरे बीच ऐसी शर्ते पक्की नहीं हुई थी।  कि मैं तुझे अपनी मनमानी दूंगा।  अब ऊंची बात  क्या करता है।  दोनों में वाद -विवाद होते सारी रात ही बीत गई और सूर्यदेव का समय आया।
 
सुमरा ने आधे रत्नों को पाने के लिए बहुत तेरा प्रयास किया।  परंतु लोहार  ने उसकी एक भी नहीं सुनी।  शूम  ने लाचार होकर बादशाह के पास अर्जी गुजारी।  मामला पेचीदा देखकर बादशाह ने बीरबल को बुलाया।  

और उन लोगों का मामला सुनकर उस न्याय करने की आज्ञा दी।  बादशाह की आज्ञा शिरोधार्य कर बीरबल ने उन दोनों से अलग-अलग बयान लिए।
 
और उन स्थानों को प्रथक - प्रथक दो कागजों  पर लिख कर उस पर उसके हस्ताक्षर कराए। फिर उन दोनों से भरी सभा में राजी लेकर प्रमाणित कराया।

उसका कहना बिल्कुल सत्य और उन्हें मान्य है।  तभी बीरबल ने  पहले लोहार  से पूछा तुमको इसमें से क्या - क्या लेना मंजूर है। लोहार  बोला मेरी इच्छा जवाहरात  लेने की है।  

बीरबल ने तुरंत न्याय  कर दिया।  सारे जवाहरात  कंजूस शूम को दे दो और स्वयं खाली पिटारी  ले लो। बीरबल ने  लोहार सतनामी की तरफ इशारा किया।  बीरबल बोला तू पहले अपनी शर्तों में लिख चुका है।  

मैं अपनी मनमानी दूंगा। तो तेरे मन में जवाब  लेने का है।अबे यह तेरी जबान से ही निर्णय हो गया।  अब जवाहरात इसे देखकर तू  खाली पिटारी लेकर चला जा।  इस लोहार के हाथ खाली पिटारी लगी ! और कंजूस शूम  जवाहरातों  को लेकर सानंद घर लौटा।

7. अक्षरा और पिशाचिन कहानी - Akbar birbal ki kahaniya in hindi

एक दिन बादशाह को अप्सरा और पिशाचिन को देखने की बहुत ही इच्छा हुई।  बीरबल सभा में आते -आते अपनी जगह बैठे ही थे कि बादशाह ने उनको पूछ लिया।  कि बीरबल यह बताओ कि आपने पिशाचिन और अप्सराओं को देखा है। 

तो बीरबल ने कहा हां देखा है। तो बादशाह को  देखने की और उत्कृष्ट इच्छा हुई।  तब बीरबल ने  बहुत अच्छा! कह कर तत्काल अपने घर चले आए और संध्या के समय एक वैश्या  के घर जाकर उसे दूसरे दिन बादशाह के पास चलने के लिए समझा-बुझाकर ठीक कर लिया।
 
जब सवेरा हुआ तो बीरबल  अपनी स्त्री और उस  वैश्या  को  लेते हुए  बादशाह के दरबार पहुंचे।  बादशाह  को अपनी स्त्री दिखा कर बोले  यह गरीब जरूर है लेकिन यह  स्वर्ग की अप्सरा है।  क्योंकि इसकी सेवाओं से मुझे बड़ा आराम मिलता है।  

बादशाह  ने  पूछा यह कैसेयह तो एकदम काली और महा दुर्बल  है।  शास्त्रों में भी अप्सराओं की सुंदरता  अद्वितीय बतलाई गई है।  बीरबल   बोला महाराजसुंदरता गुण  की होती है चमड़ी कि नहीं।
 
यह  स्त्री से मुझे स्वर्ग के समान सुख मिलता है। अब   बीरबल ने उस बाजारू  वेश्या को लाकर  बादशाह के सामने हाजिर किया।  बादशाह ने कहा।  यह तो बड़ी सुंदरी है।  इसके आभूषण और स्वच्छ वस्तुओं से इसकी सुंदरता और भी बढ़ गई है।  

बीरबल  बोला हे महाराजयह सब केवल फसने की कुंजी है।   यह पिशाचिन  जिसको लग जाती है।  उसका समस्त  अपहरण करके ही पिंड छोड़ती है।  बीरबल के ऐसे जवाब से अकबर बादशाह बहुत ही प्रसन्न हुए।  और दोनों के बारे में उनको विस्तार से समझाया।

8.  बाग और जंगल अंतर - Akbar birbal ki kahaniya in hindi

एक दिन  बादशाह जंगल में शिकार खेलने जा रहे थे।  रा स्ते में एक जंगली औरत को लड़का पैदा होते देखा।  और औरत लड़का जनते ही उसे टोकरी में रख माथे पर उठा खुशी-खुशी गांव की तरफ चली गई।  

बादशाह ने उसकी ऐसी लापरवाही देखकर मन में सोचा - आखिर औरत तो औरत, फिर बेगमें लड़का पैदा होते समय इतना नखरा क्यों दिखालाती हैं।
 
बादशाह का मन बेग मो की तरफ से फिर गया। और उसी दिन से कतई उनसे बोलना  चा लना बंद कर दिया। बैगमेंबादशाहा के इस कारण कोप से बहुत घबरा गई। 
 
और लाचार होकर बीरबल की  शरण में गई।बीरबल ने उन्हें बहुत-बहुत से आश्वासन देकर उनका दुख दूर करने का वचन दिया। और बोला के बाग वालों को बाग सींचने  की मना ही कर दो। बेगम ने वैसा ही किया।  चंद दिनों में पानी के अभाव से बाग में सारे पौधे मुरझा गए।  

यह देखकर बादशाह बहुत क्रोधित हुए। और बेगमों से पूछा।  बाग  के सींचने की मनाही क्यों की गई।  और किसने किया।  बैगमें बोली स्वामी।  हमारी ही आज्ञा से मालियों ने बाग  सीं चना बंद कर दिया है। 

हम लोगों ने विचार किया कि अब जंगल के पेड़ पौधे बिना सीं चे ही हरे भरे रहते हैं। तो  बाग के पेड़ों को सींचने की क्या आवश्यकता।  बादशाह बेगम  की बात समझ कर चुप रह गए।  बेगम के प्रति उनका  गुस्सा शांत हो गया।  और फिर प्रेम से रहने लगे।

9. आम का छिलका कहानी Akbar birbal ki kahaniya in hindi

आम का नाम भारतवर्ष के उत्तम फलों में लिखा जाता है।  1 दिन गर्मी के मौसम में किसी राजा ने उत्तम उत्तम आमों की कई टोकरिया बादशाह के पास भेजी।  वह आम अपनी -अपनी उत्तम ता के लिए पहले ही सराहे जा चुके थे।  

और बादशाह भी उनको बहुत चाहते थे।  एवं थोड़ा-थोड़ा अपने  परिवार में बांटे। और बादशाह अपनी प्रथम बेगम के साथ चटाई पर बैठकर खाने लगे।  अपने  मसखरे स्वभाव के कारण बादशाह चूसे आमों के छिलके और गुठलियों बेगम के सामने रखते जाते थे।
Akbar birbal ki kahaniya in hindi

बेगम भी  बादशाह के की बातें  ताड़ चुपचाप आम  जूस रही थी।  किसी खास  मशवरा से  बादशाह की सहमति लेने के लिए  वहां पर बीरबल भी आया था। बादशाह बीरबल को गुठली  दिखा कर बोले।  

बीरबल !   यह बेगम  इतनी भुक्कड़  है कि जब तक मैंने  एक आम भी नहीं चूस पाया।  तब तक इसने इतनी गुठलियों का ढेर लगा दिया।  बादशाहा के मुंह से ऐसी मस्करी सुनकर बेचारी बेगम ने लज्जा से सिर नीचा कर लिया। 

और उसे कुछ उत्तर देते बना।  बेगम की तरफ से बीरबल बोला।  बादशाहबेगम का भुक्कड़ होना छिलके और गुठलीयो को देखने से प्रकट होता है।  परंतु आप उनसे भी अधिक भुक्कड़ जान पड़ते हैं।  

क्योंकि बेगम ने तो गुठलियों को निचोड़ छोड़कर अलग फेंक दिया है। परंतु आपसे तो वह भी नहीं बचती।  बादशाह  बीरबल के यथोचित उत्तर से  मोन हो गए।  और बेगम को बड़ा आनंद प्राप्त हुआ
 

10. मोम का शहजादा कहानी Akbar Birbal Stories In Hindi 

एक  दिन बादशाह ने बीरबल से कहा कि तुम्हारे धर्म ग्रंथों में यह लिखा है कि  सुदामा की आवाज सुनकर कृष्ण जी पैदल दौड़े थे।   तो  नौकर को ही साथ लिया और ना सवारी पर ही गए।  इसकी वजह समझ में नहीं आती क्या उनके  यहां नौकर नहीं थे।  बीरबल बोले कि इसका भी उत्तर आपको समय आने पर ही दिया जा सकेगा।
 
कुछ दिन बीतने पर 1 दिन बीरबल ने एक नौकर जो शहजादा को इधर-उधर  टहलाता था। उसे एक मॉम की बनी हुई वस्तु  दी। जो २० किलो बजनी बादशाह के पोते की तरह की थी।  

मूर्ति यथोचित गहने - कपड़े से सजे होने पर मोम की मूर्ति दूर से देखने में बिल्कुल शहजादा मालूम होती थी।  इसे नौकर को देखकर अच्छी तरह समझा दिया, कि जिस तरह तुम नित्य प्रति बादशाह के पोते को लेकर उस कुण्ड  सम्मुख जाता   हैठीक उसी तरह
 
आज मूर्ति को भी लेकर जाना  परंतु उस जल कुंड के पास पैर फिसल जाने का बहाना कर गिर पड़ना।  और देख सावधानी से इस तरह से गिरना कि तू जमीन में लेकिन मूर्ति पानी में अवश्य चली जाए।  

तुझको इस कार्य में सफलता हुई तो तुम्हें कुछ इनाम दिया जाएगा।  लालच बस नौकर ने ऐसा ही किया।  नौकर  जलकुंड के पास पहुंचा और पैर फिसलने  का बहाना  किया और  मूर्ति पानी में चली गई।
 
अब तो बादशाह का साथ जाता रहा वह कुंड की ओर लपके और कुंड में कूद कर मूर्ति को लिए पानी में से निकले।  अब उन्हें अपना भ्रम मालूम हुआ।  बीरबल जो उस वक्त वहां उपस्थित थे। और बोले

आपके नौकर चाकर थे फिर आप अकेली पैदल क्यों अपने  पो ते के लिए दौड़े। आखिर सब सवारी  किस काम आएगी।  बीरबल ने और भी आगे चलकर कहा कि क्या अब भी आपकी आंखें नहीं खुली।  

देखिए ! जैसे आपको अपना पोता प्यारा था।  ठीक उसी तरह ही कृष्ण को अपने भक्त लोग प्यारे हैं।  उनकी पुकार पर इसलिए ही वह पैदल दौड़ गए थे।  यह सुनकर बादशाह  प्रसन्न हुए।
 

 11.  जूतों के मारे खड़े हैं Akbar Birbal Stories In Hindi 

1 दिन बादशाह अकबर और बीरबल अपने घर वालों के साथ मन बहलाने के लिए राज्य के किसी गांव में जहां साही  इमारत रहने के लिए बनी हुई थी वहां गए।  

शाम को जब लौटने लगे तो पता चला कर राजा का जूता कहीं गुम हो गया है। राजा ने सभी नौकरों को जूता की तलाश करने के लिए कहा। बादशाह के नौकर पूरे गांव  मैं छानबीन करने लगे।  लेकिन जूते का कुछ कहीं पता नहीं चला।  

इसी बीच बीरबल और  लखन दोनों कुछ रास्ते में गए।  रास्ते में लखन ने कहा कि बीरबल राजा का इंतजार कर ले ! वह क्या कह रहे हैं।  बीरबल ने उत्तर दिया राजा बेचारे जूतों के मारे खड़े हैं।
 
बीरबल की बात उसकी समझ में ना आए क्योंकि बादशाह के जूते चोरी हो जाने की खबर उसको नहीं थी।  उसने  समझा के के हंसी मजाक कर रहा है।  

इधर बीरबल ने चालाकी से बादशाह का जूता लखन के कपड़ों में बांध दिया था।  जब बादशाह  ने सबकी तलाशी का आदेश दिया तो सब अपने अपने कपड़े राजा  को दिखाने लगे।  अतः बाद में  लखन का कपड़ा भी देखा गया।
 
जैसे लखन ने अपने कपड़े दिखाए तो राजा के जूते उसी में मिल गये   यह लखन को नीचा दिखाने का बीरबल के पास बहुत ही अच्छा अवसर था।  रह-रह कर एक-एक बात राजा को बोल देते। 

लखन बड़े परेशानी में थे। वह सदा बीरबल को नीचा दिखाने का प्रयत्न करते। आज लखन  उनके मकड़जाल में फंस गए थे। क्योंकि  वह जवान से एक शब्द भी निकाल सकते।  

उन्होंने बीरबल की बात को याद दिला कर  बादशाह से कहा कि  आपने बीरबल को इतना मुंह लगा लिया है कि वह कुछ भी  अंत संत बोल देता है।  यह कहकर वही बात दोहरा दिया।  राजा ने इससे अपना अपमान समझा।
 
और वह नाराज हो गए।  और तुरंत ही बीरबल को बुलाने का आदेश दिया और उनसे पूछा गया।  तब बीरबल ने नम्रता पूर्वक उत्तर दिया जहांपना मैंने कोई ऐसी अपमानजनक बात नहीं कही।  

लखन ने मुझसे पूछा कि राजा क्यों नहीं चल रहे हैं।  तो मैंने उत्तर दिया बेचारे राजा जूतों के मारे खड़े हैं क्योंकि जूता खो गया है उसी के खोजने में परेशान हैं।
 
परेशान किसी दूसरे ने किया और  दंड कोई दूसरा भुगत रहा है।  जहाँपनाह  जरा न्याय की दृष्टि से देखें मैंने बिनम्र स्वभाव से ऐसी बात कही थी उसमें कोई छल कपट नहीं था।  इस प्रकार बीरबल की बात सुनकर बादशाह हंस पड़े और उन्हें क्षमादान दिया।
 

12.  लड़के की हट कहानी - Akbar birbal chutkule in hindi

1 दिन दरबार में बादशाह अकबर जब पधारे तो देखा कि बीरबल नहीं है।  बीरबल के रहने से कामकाज बिल्कुल ही बंद हो जाता था।  आज दरबार में आने के लिए उन्हें पहले से कहीं ज्यादा देर हो गई थी। 

बादशाह ने अपने नौकर  को उनके लाने के लिए भेजा।  नौकर गया राजा का संदेश सुन बीरबल ने उस नौकर से कह दिया कि चलो मैं आता हूं।
 
नौकर को वापस आए एक से ज्यादा घंटा बीत गया तो राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ।  किंतु उसी छड़ उन्होंने विचार किया कुछ आवश्यक कार्य से ही वह रुके हुए होंगे।  बादशाह को अब बीरबल की प्रतीक्षा  नहीं हो पा रही थी।  

उन्हें दूसरे नौकर को बीरबल के पास फिर से  भेजा।  इस नौकर को भी बीरबल ने वापस कर दिया। नौकर ने आकर कहा जहांपनाह वह कह रहे हैं कि चलो मैं आता हूं। बादशाहों को यह सुनकर कुछ तसल्ली हुई। 

 2 घंटे फिर बीत गया किंतु बीरबल का कहीं अता पता नहीं था।अब बीरबल  से जलन करने वाले लोगों को अवसर मिला। उन्हें बीरबल की निंदा कर बादशाह के गुस्से को और भी  भड़का दिया।
 
और  बादशाह ने दो सिपाहियों को बीरबल को घर से लाने  के लिए भेज दिया। डरते डरते सिपाहियों ने बीरबल से बादशाह का संदेश सुनाया। तो  बीरबल समझ गए कि अब देर करना उचित नहीं है।  

और कपड़े पहन कर सिपाहियों के साथ राज्य की ओर चलने लगे।  और राज्य में पहुंचकर बादशाहों को सलाम करके अपने स्थान पर बैठ गए।
 
बादशाह ने बीरबल से हुकुम अदली का कारण पूछा।  बीरबल बोले जहांपनाह मेरा लड़का रो रहा था और मैं उसे बहलाने और उसको चुप करना चाहता था।  लेकिन  वह अपनी  ज़िद पर रुका रहा।  बादशाह बोले यह तुम्हारी कोरी बनावटी बातें हैं लड़की को बहलाना बहुत छोटी बात है।
 
अच्छा बताओ भला कौन सी ऐसी बात थी जिससे लड़का नहीं मानता था।  तो वह चाहता था तुम उसे देते तो लड़का क्यों रोता।  तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया यह अच्छा नहीं हुआ।  क्या करोगे  तुम्हें निश्चय ही सजा दी जाएगी।
 
बीरबल बोलो जहांपना मैंने उस लड़के  को शांत करने का बहुत  ही प्रयास  किया किंतु असफल रहा।   बादशाह बोले लड़का क्या चाहता था बीरबल ने उत्तर दिया जहांपना सुनिए में शुरू से अंत तक सब बातें कहता हूं।
 
लड़का रो रहा था मैंने उसे पूछा बेटा क्या लोगे ! क्यों रो रहे हो पहले तो उसने मेरी बातों को सुनी अनसुनी कर दिया जब मैं लगातार पूछता ही रहा तो और बोला कि गन्ना लूंगा। में  उसे लेकर बाजार गया जहां गन्ना बिक रहा था। मैंने  गन्ने के बोझ  की ओर इशारा करके कहा जो चाहे उसमें से ले लो।
 
किंतु उसे संतोष हुआ और बोला इसमें से तुम् अच्छे से निकाल लो। मैंने वैसा ही किया किंतु उसे तो रोने की धुन सवार् थी। वह फिर रोने लगा। पूछने पर  पता चला कि वह छोटी-छोटी गड़ेरिया बना कर खाना चाहता है। 

मैंने वैसा ही किया। गन्ना  चूसते - जब उसका पेट भर गया तो उसने चूसने से इंकार कर दिया। कुछ देर तक चुपचाप रहने के बाद फिर से उसने तो रोना पीटना शुरू कर दिया। 

मैंने उससे पूछा अब क्या चाहता है। तो वह बोला कि चूसी  हुई गड़ेरियों  के छिलके को जोड़कर पहले जैसा ही गन्ने का डंठल तैयार कर दो। मैंने समझाया बुलाया पर सब बेकार था। 

लाचार होकर मैंने मजबूरी प्रकट की। मुझे वैसे ही गन्ने को नहीं जोड़ेगे तब तक  मैं रोता रहूंगा। अब भला  आप ही बताइए कि मैं उसे कैसे बहलाता। राजा यह सुनकर हैरान रह गए। और बादशाह का गुस्सा शांत हो गया !!  

13. बीरबल का  राज्य से जाना  - Akbar birbal ki stories in Hindi

एक बार किसी कारणवश बादशाह ने बीरबल से नाराज होकर बीरबल को राज्य  छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर जाने का आदेश दिया।  आज्ञा पाकर बीरबल किसी दूसरे गांव में भेष बदलकर जीवन यापन करने लगे।  बीरबल स्वाभिमानी पुरुष होने के नाते पुरुषोत्तम थे।  बादशाह के  बिना बुलाए कैसे  आते।
 
उसी उपरांत 1 दिन बादशाह को उनकी याद आई तो मिलने के लिए बादशाह बहुत ही लालायित हो उठे।  लेकिन किसी को उनका पता ठिकाना भी मालूम नहीं था। 

हर जगह पता लगाने वाले दौड़ाएं लेकिन कुछ पता चल सका।  बादशाह  को इस मौके पर एक उपाय सूझा उन्होंने शहर  में मुनादी  करके और नोटिस द्वारा घोषणा की कि जो कोई आधी  धूप और आधी छाया होकर मेरे सामने उपस्थित होवे गा
 
 उसे 1000 अशरफिया पुरस्कार रूप में दी जाएगी।  इस घोषणा की खबर सारे शहर और  गांवों के बीच बिजली की भांति दौड़ गई।  सभी के मुंह में पानी भर आया कि लेकिन किसी को कुछ भी सूजा।  

संयोग से इस बात की खबर बीरबल के कानों तक पहुंच गई।  अतएव उन्होंने स्वयं अपने ही हाथों से बीच-बीच में जगह छोड़कर एक खाट बनाई। तत्पश्चात उस खाट को एक पड़ोसी गरीब किसान को देकर कहा के देखो

इस खाट को अपने सर पर रख कर बादशाह के सामने जाना और निवेदन करना के आज्ञा अनुसार आपके सम्मुख आधी धूप और आधी छाया में लेकर आया हूं।  

अतः इनाम हमें मिलना चाहिए।  बीरबल के कहने के अनुसार ही उसके  घाट को सिर पर रखकर बादशाह के महल का रास्ता लिया।
 
और बादशाह के सामने खड़ा होकर बीरबल द्वारा बताए गए निवेदन को   सुनाया।  बादशाह समझ गए कि यह किसान के दिमाग की उपज नहीं और किसान से बोले कि तुम ठीक ठीक बतला दो कि यहां यह उपाय तुमको किसने बनाया।
 
किसान ने पूरा हाल ठीक- ठीक बता  दिया कि एक बीरबल नामक ब्राह्मण जो कुछ दिनों से हमारे ही गांव में आकर रहता है उसने मुझे ऐसा करने के लिए कहा।  

बादशाह ने गरीब की सच्चाई पर तथा बीरबल का पता लग जाने से बहुत खुश होकर १००० असर्फियो की जगह 2000  असरफियाँ किसान को दिलाई।  तथा  सैनिकों को भेज कर बीरबल को आदर पूर्वक अपने राज्य में वापस बुला लिया।
 
एक साई को तोता पालने  का बड़ा शौक था।  नित्य प्रति  नए-नए तोते फसाना था और यही नहीं उन्हें काफी सिखाता पढ़ाता भी था।  जब तोता अच्छी तरह बोलने लगता तो नगर के अच्छे शौकीनों को ले जाकर नज कराता था।  

इस काम से उसको कुछ धन मिल जाता था।  इस प्रकार वह अपना और अपने परिवार का जीवन बसर करता था। एक दिन साई   को एक अच्छा तोता मिल गया।  अपने घर पर रखकर उस तोते को खूब बोलना सिखाया।  और बड़े होने पर बादशाह को देने का इरादा किया।  

अपने इरादे के अनुसार साईं ने तोता बादशाह को नजर किया।  बादशाह  को यह बहुत पसंद आया।  सबसे अच्छी बात तो  राजा को यह लगी कि तोता  सवाल का जवाब भी देता था।
 
बादशाह  ने इसकी हिफाजत का प्रबंध एक विश्वासपात्र नौकर को सौंपा और उसे आज्ञा दी कि इस के स्वभाव में किसी किस्म का  गलत एव  ना आए।  और यदि किसी के द्वारा मुझे इसकी मृत्यु का समाचार ज्ञात हुआ तो उसे जान से मरवा दूंगा।  

बादशाह का आदेश था रखने वाले ने बड़े  इंतजाम से रखा था।   अचानक एक  दिन तोता मर गया।  रखने वालों को जब पता चला तो वह सीधा बीरबल के पास गया।और आरजू मन्नत कर सारा विवरण उसने बतला दिया।  

रखने वाले ने यह भी कहा कि यह बादशाह के पास तोते के मरने की खबर ले जाता हूं। तो प्राण दंड होगा।  यदि खबर नहीं देता तो भी मौत है।  अब शरण में आया हूं किसी उपाय से मेरी जान बच जाए।  

बीरबल बोले कि तुम्हें किसी किस्म की चिंता नहीं करनी चाहिए। आओ अपना काम करो।  इतना रखवाले से कहकर बीरबल बादशाह के पास गए।
 
और बड़ बढ़ाते कहते हैं कि आपका तोता तो.. बादशाह इसका मतलब नहीं समझ सके। और  बोले क्या तोता मर गया ! बीरबल बोले जहांपनाह मरा नहीं मैं तो यह कहने आया हूं।  कि तोते ने अब समाधि ले ली है। 
 
आज प्रातः काल से उसने तो खाना खाया और ना ही पानी पिया। और ना ही पंख हिलाता है। और ना अपनी आंखें खोलता है। बादशाह यह सुनकर बहुत ही अचंभे में हो उस स्थान की ओर बढ़े जहां तोता रहता था।  जाकर देखते क्या है कि तोते  के प्राण पखेरू उड़ गए। 

तब तो बादशाह ने बीरबल से कहा कि तुमने मुझको यात्रा  कर क्यों परेशान किया।  यह कह देना था  कि तोता   मर गया।   बीरबल ने  नम्रता पूर्वक उत्तर दिया कि आपका कहना यथार्थ है।
 
परंतु यदि मैंने ऐसा ही कह दिया होता तो जीवन गवाना पड़ता  बादशाह को अब अपनी प्रतिज्ञा याद आई। तो बीरबल से बहुत खुश हुए इस तरह अपनी बुद्धिमता से बीरबल ने तोता रखवाले के प्राण बचाए।

14. लकीर को छोटी कैसे करें jokes akbar birbal Hindi me

एक दिन की बात है। अकबर बादशाह ने  अपने सेवादार से एक कागज और एक पेंसिल लाने को कहा।  और उन्होंने कागज पर पेंसिल से एक लकीर खींची। 

और बीरबल से बोले कि तो यह लकीर  घटाई जाए और ना बढ़ाई जाए परंतु लकीर छुट्टी हो जाए।  बीरबल ने तुरंत ही उस कागज पर पेंसिल से बादशाह की लकीर के नीचे एक उससे बड़ी लकीर खींच दी।
 
और बोले कि देखिए महाराज ! अब आप की लकीर इससे छोटी हो गई।  यह देख कर अकबर बादशाह बहुत खुश हुए और बीरबल को कुछ इनाम भी दिया।  उस  कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि  बुद्धिमानी से सब कुछ संभव है।
 
15. आपकी बारी कैसे आती jokes akbar birbal Hindi me
 
बादशाह ने बीरबल से कहा, अगर बादशाहत  हमेशा कायम रहती  यानी जो बादशाह होता वह  सदैव ही शासन करता ही रहता तो कैसा होता।  बीरबल ने तत्काल  स्वाभाविक  नम्रता पूर्वक उत्तर दिया जहांपनाह

आपका कहना बिल्कुल उचित है।  किंतु यदि ऐसा होता तो भला सोचिए  ! कि आप बादशाह होते।  बीरबल के व्यंग को समझकर बादशाह चुप हो गए।  और मन ही मन  बहुत शर्मिंदा भी हुए
 

 16. दो गधों का बोझ - Akbar birbal ki stories in Hindi

एक  दिन बादशाह, बीरबल और बादशाह का शहजादा  तीनों राज्य से बाहर  किसी गांव में प्रातः काल  टहलने गए हुए थे।  प्रात कालीन शीतल मंद - मंद वायु के मिलने से उन लोगों का चेहरा अत्यधिक प्रफुल्लित था।  

जिसके कारण कुछ दूर और निकल गए।  बातों - बातों में वह बहुत दूर निकल चुके थे।  फिर उधर  से आते टाइम शरद काल की धूप  जब  शरीर पर लगी तो  बादशाह ने अपना लवादा  बीरबल के कंधे पर रख दिया।
 
इधर शहजादे ने भी  अपने पिता को देख अपना लवादा  उतार कर बीरबल को दे दिया।  जिसे बीरबल ने कंधे पर रख लिया। बादशाह बीरबल से  उपहास  करने लगे। 

कि अब तो तुम्हारे ऊपर एक गधे का बोझ हो गया। बीरबल ने तत्काल ही उत्तर दिया।  जहांपना एक का ही नहीं बल्कि दो गधों का बोझ है।  बीरबल की बात बादशाह समझ गए और अपना सिर नीचा कर लिया।
 
 17. चतुर और मूर्ख की कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi
 
बादशाह ने  एक  दिन बीरबल से पूछा कि दुनिया में चतुर और मूर्खों की क्या पहचान है।  बीरबल बोले के अवसर से जिसकी बुद्धि काम आए यानी युक्ति युक्त जिसका उत्तर हो वह चतुर है।  जिसका विपरीत यानी सामाजिक उत्तर ना हो वह मूर्ख है। यह सुनकर बादशाह बहुत प्रसन्न हुए।
 

 18. मुझे हंसा दो  एक कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi

1 दिन बादशाह बीरबल से बोले यदि तुम मुझे हँ सा  दो, तो मैं तुम्हें मनमाना इनाम दूंगा।  इस पर बीरबल ने कहां ठीक है हुजूर।  और बीरबल ने हंसाने का  प्रयत्न किया।  परंतु बीरबल बादशाह को हंसाने में असमर्थ रहे।  

बादशाह ने भी ना हंसने का पूर्ण निश्चय कर लिया था। जब बीरबल ने देखा कि बादशाह नहीं हंसते तो  उनके कान के पास जाकर  अपना मुंह ले जाकर कहते हैं कि अब बिना हंसे रहें तो बताइए। 
 
अब मैं आपके कान तले गुदगुदाता हूं। बीरबल की बच्चों की तरह बातें सुनकर बादशाह खिलखिला कर हंस पड़े।  और अंत में बीरबल की जीत हुई।  और बीरबल को बादशाह ने इनाम भी दिया।
  
19. हुजूर  गधे रहे हैं - एक हास्यप्रद कहानी  !
 
एक समय बादशाह लड़ाई में युद्ध जीतकर बड़े प्रसन्न हुए और बीरबल को बहरूपिया का कोई निराला स्वांग दिखला ने की आज्ञा दी। बीरबल एक दूसरी जगह वहां से उठकर चला गया। और  कुमहार की सूरत बना अपने साथ एक गधा लिए हुए मार्ग में मिला।  

बादशाह बोले गधे वालामार्ग छोड़कर अलग हो जा।  वीर बल  हंसता हुआ  बोला मैं तो कभी का कह रहा हूं।  हुजूर गधे रहे हैं।  बादशाह बीरबल के उत्तर को सुनकर शर्मिंदा हो गए।

20. आधा आपका - कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi

एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा- बीरबल तू धरती की तरफ देखता हुआ क्यों चलता है, क्या तुम्हारे बाप -दादा की परंपरा की यही प्रणाली है।  बीरबल बोला नहीं महाराज धरती की प्रणाली कथा से विस्तृत है।  

मैं अपनी बात बतलाता हूं।  मेरा धरती पर देखते हुए चलने का खास कारण यह है कि - मेरा बाप धरती में गुम हो गया।   बादशाह ने उत्तर दिया ! आज के दिन में उसे ढूंढ निकालू  तो मुझे क्या दोगे।  बीरबल बोला  आधा - आपकाबादशाह अकबर, बीरबल का उत्तर सुनकर हंस पड़े।
  

21. उत्तम जल किस नदी का है jokes akbar birbal Hindi me

गर्मी के मौसम में 1 दिन  बादशाह बीरबल के साथ किले के ऊपर से जमुना जल की गंभीरता और नीर देख रहे थे।  अचानक उनका मन दूसरी तरफ चला गया।  कुछ देर सोचने के बाद बीरबल से बोले।  सबसे उत्तम जल किस नदी का माना जाता है।  

बीरबल ने जवाब दिया जमुना का।  बादशाह ने कहा बीरबलहॉर्स और हवास से बातें कर रहे हो या  जो  जी  में आया वह कह दिया। तुम्हारे वेद पुराण में गंगाजल की महिमा गाते हैं और तुम यमुना जल  की विशेषता दे रहे हो।  

बीरबल बोला बादशाहगंगाजल तो अमृत है।  उसकी  समता जल से नहीं की जा सकती।   बादशाहा को बीरबल के उत्तर से बड़ा संतोष हुआ।  और बीरबल की चतुराई जान  गए।
 
22. फांसी से मुक्त कर दो - Akbar birbal ki stories in Hindi
 
एक दिन एक बुड्ढा ब्राह्मण किसी विशेष अपराध में गिरफ्तार होकर अकबर बादशाह के दरबार में लाया गया।  बादशाह ने उसका अपराध समझ कर उसको फांसी की सजा दी।  उसी समय बीरबल भी घूमता - फिरता पहुंचा।  

बादशाह ने बीरबल से कहा  देखना एक बूढ़े आदमी की सिफारिश करना, इस दुष्ट के संबंध में मैंने पहले ही कसम खा ली है। मगर सिफारिश करोगे तो तुम्हारे कहने के विपरीत करूंगा , बीरबल ने कहा हुजूर ! इस नासमझ को जरूर फांसी दीजिए। 
 
इसने कठिन से कठिन दंड पाने का काम किया है। बादशाह पहले ही बीरबल के विपरीत की शपथ खा चुके थे। इस प्रकार उसी ब्राह्मण को छोड़ दिया। और बीरबल की चतुराई से उस ब्राह्मण की जान बची।  और ब्राह्मण खुश होकर चला  गया।
 
23. पा खाने में चित्र - Akbar birbal ki stories in Hindi
 
एक बार बादशाह को किसी आवश्यक कार्य बस बीरबल को एक दूसरी राजधानी में भेजना पड़ा।  वहां के राजा का बीरबल के बुलाने का असली अभिप्राय बादशाह का  उपहास करके उसे नीचा दिखाने का था। 

इसलिए उसने पहले से ही अपने पा खाने में अकबर की तस्वीर टंगवा रखी थी। और बीरबल को किसी बहाने से अपना  पाखाना दिखाया  और बीरबल से पूछा  आपको पता है हमने आपके महाराजा की तस्वीर पाखाने में क्यों लगाई है।  

बीरबल थोड़ी देर  सोच कर जवाब दिया - हां पता है। उनको देखकर आपको पाखाना उतर जाता होगा।  और मुझे कोई दूसरा कारण समझ में नहीं आता।  राजा बीरबल के ऐसे  मुंह तोड़ उत्तर से वह राजा बड़ा ही शर्मिंदा हुआ।  और चुप हो गया।
  

24. आप मुझ को चाट रहे थे और मैं आपको चाट रहा था।  कहानी !

एक दिन  बादशाह बीरबल के घर गए।  बीरबल अभी  शाम के समय पूजा अर्चना कर रहा था।  जब उनकी बीरबल से मुलाकात हुई तो कुछ देर कुशल - प्रश्न के बाद अपनी बातें छेड़ी। बादशाह ने कहा- बीरबल, आज मैंने एक अजीब सपना देखा है।  

यानी मै शहद के कुंड में गिर गया हूं।  और तुम टट्टी के कुंड में गिर गए हो।  बीरबल भी कहां रुकने वाले थे। बीरबल ने भी कहा- मुझे भी आज की रात में अजीब घटनाएं घटी।  मैंने भी आपके समान ही सपना देखा है।  मेरा सपना आपसे थोड़ा ऊंचा था।  

हम दोनों कुंड से बाहर निकल आए थे।  और आप मुझको चाट रहे थे और मैं आपको चाट रहा था।  राजा का बीरबल को नीचा दिखाने का सपना टूट गया।  और बादशाह  लज्जत हो कर चुप हो गए थे।
  
 25. कौन सुखी है Short story of birbal in Hindi
 
एक दिन बादशाह ने किसी एक नग्न पुरुष को देखा और  क्षोभित  होकर बीरबल से पूछा  संसार में कौन  सुखी है।  मैं इस संसार के मनुष्य का नाना प्रकार के भेस-बूसा और ईश्वर पूजा का विभिन्न उपाय देखकर बड़े असमंजस में पड़ गया हूं।  

तुम पंडित और ज्ञानी हो इसलिए मेरे प्रश्न का समाधान करो।  बीरबल ने उत्तर दिया जहाँपनाहइस बात का फैसला मनुष्य के मरने के बाद होता है। बादशाह और भी संदिग्ध हो गए और बीरबल से इसका कारण पूछा।  बीरबल बोला

जिसको आज हम सुखी देखते हैं वही कल विपत्ति में पडकर पर निर्धन व् दुःखी हो जाता है।  तब ऐसी दशा में जीते जी किसी मनुष्य को सुखी या दुखी कैसे कह सकते हैं।  कितने लोग ऐसे भी हैं
 
जो ऊपर से तो बड़े सुखी ज्ञान पढ़ते हैं परंतु उनके अंत करण में दुख व्याप्त रहता है।  तब उनको भी सुखी नहीं कहा जा सकता।  मेरे सिद्धांत से सब का निचोड़ यही है कि जो मनुष्य सुख पूर्वक  मरे

उसी को सुखी कहना उचित है। बीरबल का उत्तर बादशाह  को बहुत पसंद आया।  और उसे परितोषिक दिया।

26. दौलत ड्योढ़ी पर हाजिर है jokes akbar birbal Hindi me

1 दिन बादशाह ने किसी कार्य में  गलती करने के कारण अपने  दौलत नाम के  पुराने सेवक पर नाराज होकर उसे नौकरी से निकाल दिया। बेचारा सेवक अपनी बचत का कोई दूसरा उपाय देखकर बीरबल के पास गया। 

वीरबल  उसका  सारा समाचार सुनकर बोला।  तुम एक बार  फिर महल  मैं जाकर कहो कि  दौलत ड्योढ़ी  पर हाजिर है, हुजूर। हुकुम दो तो रह जाएं।  सेवक ने वैसा ही किया।  

बादशाह ने उसे बुलवाकर समझाया दौलत मेरे यहां हमेशा कायम रहे।  बादशाह और  उस पुराने नौकर की अर्थ भरी बातों को समझ कर सभी दरबारी हंसने लगे।  बीरबल की बुद्धि से बिचारे की जीविका बनी रह गई।
  
27. ब्राह्मण का पैर तीर्थ है  - Short story of birbal in hindi
 
एक बार  बाद शाह ने  बीरबल से पूछा की गाय को माता कहते हो  और फिर उसके चमड़े का जूता क्यों पहनते हो।  बीरबल ने जवाब दिया कि जहांपना ! ब्राह्मण का  पैर पवित्र तीर्थ माना गया है।  

जिसके छूने से सब - सुख एंव  मोक्ष प्राप्त हो जाता है यही वजह है कि हम उसकी खाल का जूता पहनते हैं। बीरबल का  जवाब सुनकर बादशाह को  बहुत खुशी हुई।
  

28. दिल्ली में कोए  की गिनती jokes akbar birbal Hindi me

1 दिन बाद शाह सबसे पहले दरबार में आए। और बाद में जितनी दरबारी आते गए सब से बराबर यही पूछते गए - दिल्ली में कौए  की गणना कितनी है।  सभी दरबारी चुप रह गये, किसी ने झूठ-सच कुछ भी उत्तर नहीं दिया।

तब तक बीरबल भी पहुंचा। बादशाह ने वही प्रश्न उससे भी पूछा। बीरबल धड़ाके से बोला, जहाँपनाह ! 4 साल पहले मैंने इसकी गणना कराई थी।
 
केवल दिल्ली नगर में 5685 कौवे निकले थे।  जहांपना , बीरबल से कौए  की स्पष्ट गणना  सुनकर आश्चर्यकित  हुए।  और  बोले  बीरबल ! तुमने  पिछले साल  कब  गणना कराई थी

उसका प्रमाण दो। मुझे नंबर  गणना में  शक है।  बीरबल ने कह दिया नहीं।  महाराज  वह गणना बिल्कुल सही है।  क्योंकि इसको मैंने स्वयं किया था।
 
बादशाह ने कहा इसमें एक भी नंबर की कमी  होगी तो तुम से 5000  हजार सात सौ 30 रूपये  दंड लिए जाएंगे।  आज शाम तक मौका है , ली- भाँ ति सोच विचार कर उत्तर दो।  

बीरबल ने कहा मेरी गणना  बिल्कुल ठीक है।  फिर से गिनने पर भी इतने ही  निकलेंगे।  कमी  बड़ी  होगी  जब यहां से कुछ  कोए  बाहर रिश्तेदारी  में गए होंगे  या  बाहर से मेहमानी करने के लिए यहाँ  आए होंगे।
 
29. औशान सच्चा है  - Short story of birbal in hindi
 
एक दिन बादशाह ने बीरबल की  बुद्ध - परीक्षा के नमित बीच गली में एक  मस्त हाथी को छुड़वा दिया।  एक तरफ से घूमता हुआ हाथी चला और दूसरी तरफ से बीरबल रहा था।  

मोड़ पर एकाएक बीरबल और हाथी की मुठभेड़ हो गई।  बीरबल के पास कोई अस्त्र नहीं था।  हाथी के भय से सब  बाजार बंद थे।  कहीं छुपने का स्थान भी नहीं था।  हाथी बीरबल को देख कर झपट्टा।
 
एक कुत्तिया गली के बगल में बैठी थी।  बीरबल ने  कुतिया की  दोनों पिछले टांगे पकड़  घुमा कर हाथी के मस्तक पर दे मारी।  चोट खाकर कुत्तिया चिल्लाने लगी। 

चिल्लाने और छठ -पटाने से हाथी के मस्तक पर कुत्तिया के नाखूनों से  कुरच   गयी   वह घबराकर पीछे लौट गया।  इधर अवसर पाकर बीरबल भी जान बचाकर भागा।  बादशाह अपने महल की खिड़की से यह  तमाशा देख रहा था।  उसको बीरबल के  औशान पर बड़ा संतोष हुआ।
 

 30. बीरबल को  मुह पीछे गालियां  - Short story of birbal in hindi

बीरबल के बादशाह के दरबार बहुतेरे कुछ शत्रु भी थे।  एक बार किसी शत्रु ने रास्ते के  चौराहे पर एक कागज चिपका दिया।  और शुरू से आखिर तक बीरबल को गालियां लिखी गई थी।  

उस चौराहे से होकर जो कोई गुजरता उसकी नजर उस कागज पर अचानक पड़ती थी। वह किसी को गाली देने का नया तरीका देखकर वहां पर बीरबल के शत्रु एंव मित्र दोनों का जमघट लगा रहता था।  

इधर बीरबल को भी जब वह समाचार मालूम हुआ तो वह कुछ आदमियों को साथ लेकर उस स्थान को देखने गया।  कागज कुछ ऊंचाई पर चिपका था। जिस कारण उसको पढ़ने में बड़ी देर लगती थी।  बीरबल को  ठीक ना जान पड़ी।
 
 उसने फौरन नौकर को हुक्म दिया कि इनको वहां से उखाड़कर और नीचे चिपका दें।   हुकुम पाते ही नौकर ने कागज को और नीचे चिपका दिया। फिर बीरबल एक चित्र जनता को संबोधित कर बोला।   

यह  कागज आज हम लोगों के मध्यस्थ और भविष्य का इकरारनामा  है। ऊंचे पर चिपकाया गया था।  इसलिए मैंने इसको और नीचे चिपका दिया है।  ताकि सब लोग आसानी से पढ़ सकें।  

मैं अपने विपक्षियों को अहम  सूचना देता हूं कि अब वह मेरे साथ अपनी मनमानी करें मैं भी उनके साथ अपनी इच्छा अनुसार व्र लूंगा।
  

31. अब तो आन पड़ी है  - Akbar birbal stories in hindi short

बादशाह अकबर को ठिठोली बड़ी प्रिय थी, 1 दिन नगर के बनिए से ठिठोली करने की इच्छा हुई।  वह दिल्ली के समस्त बनियों को बुलवाकर बोले।  आज से तुम लोगों को नगर की चौकीदारी करनी पड़ेगी।  

बेचारे  निकले हुए पेट वाले बनिए  भला क्या चौकीदारी जाने।  वह डरते - डरते बीरबल के पास जा पहुंचे।  और उससे अपना दुखड़ा सुना कर बड़े दुखत हुए।  बीरबल ने  उन्हें तसल्ली  देते हुए कहा।
 
तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पाजामे को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय नगर में  चिल्ला - चिल्ला कर  कहते  फिरों ! अब तो आन पड़ी है अब तो आन पड़ी है।  

उधर  बादशाह को भी बनिए का चरित्र देखना था।बादशाह  अपना भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने के लिए निकले।  बनिया का है नया निराला सॉन्ग देखकर बादशाह पहले तो मन ही मन बहुत हंसी  आई।
 
फिर अपना भीतर हंसी का भाव छुपाकर ऊपर के मन से बोले।  भाई  क्या बात है।  उन्होंने कहा महाराजहम बनिए जन्म से गुण और तेल बेचने का काम सीख आए हैं।  

भला चौकीदारी का मर्म क्या जाने। अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें  बनिया कहकर क्यों पुकारतेबादशाह ने खुश होकर अपना हुकुम बदल दिया। 
 

32. भंगी भी मुसलमान नहीं  - Akbar birbal stories in hindi short

1 दिन बादशाह का दिल मजहबी  झोके में हिलोर मार रहा  था।  इसी बीच देवात बीरबल भी वहां पहुंचा।  बादशाह ने कहा ! बीरबल तुम मुसलमान  मजहब क्यों नहीं अपना लो।  

बीरबल झट  बोला- महाराजउस  मजहबी मामले को  खूब समझकर दूसरे दिन जवाब दूंगा। शाम होते ही बीरबल  दरबार से चला गया  और रात  में महतरों  की टोली में आया।  और उनको गुप्त रूप से समझा कर बोला।
 
तुम लोग खूब सावधान रहो।   बादशाह तुम्हें मुसलमान बनाना चाहते हैं।  यह बात सुनकर सब  महतर   भड़क उठे।  और वे अपना डेपुटेशन बनाकर बादशाह के पास पहुंचे।  

उनका सरदार सबसे आगे खड़ा होकर बोला।   महाराजहमें बीरबल मुसलमान बना रहे हैं।   हम अपना जीवन  दान भले ही कर देंगे।  परंतु मुसलमान बनेंगे।  बीरबल बादशाह  को चिढा  कर बोला।
 
जहांपनाह। अब इतनी छोटी जातभंगी   भी  धर्म नहीं छोड़ना चाहते।  तो फिर दूसरों से कैसे इस बात की आशा की जाए।  बादशाह को बीरबल की युक्ति पर हंसी गई।  और बादशाह समझ गए कि यह बीरबल  की  ही कोई चाल है।
 
 33. यह तो हमारा ही है - jokes akbar birbal Hindi me
 
एक ब्यक्ति इच्छा पूर्ण भोजन करके अपने पेट पर हाथ फेर रहा था कहीं से एक चौबे की दृष्टि उस पर जा पड़ी।  चौबे ने कहा बा क्या कहना।  बहुत अच्छा पेट है बीरबल ने उत्तर दिया - अच्छा देखो तुम ही रख लो तो कैसा हो।  चौबे ने  हंसकर  कहा यह तो हमारा ही है।बीरबल चौबे के उत्तर को सुनकर हंस पड़ा।
  

34. सूडान की लोककथा | Akbar birbal stories in hindi short

सूडान के एक नगर में एक फकीर की बहुत ख्याति थी।  वह फकीरों का उस्ताद माना जाता था।  1 दिन बादशाह को उस फकीर से मिलने की इच्छा हुई।  तो बादशाह ने फकीर को अपने दरबार में पधारने का निमंत्रण भेजा ,लेकिन फकीर नहीं गया।
 
आखिर एक दिन बादशाह स्वयं फकीर से मिलने के लिए पास आया।  उसने उपहार स्वरूप पकवान फकीर को भेंट किए।  फकीर ने आईना निकाला और उस पर एक ग्रास  मल  दिया।   उससे उस फकीर का आईना धुँधला  हो गया।  

उसके बाद फिर उसने सूखी रोटी निकाली ,और उससे  धुँधला आईना साफ किया।  और उस रोटी को वह बड़े चाव से खाने लगा। यह सब कुछ देख कर बादशाह हैरान रह गए।  और आखिर पूछ ही लिया। यह सब क्या है?" फकीर ने समझाया " आपका भोजन मेरा आईना धुंधला कर  देता है। 

लेकिन मेरी जौ  की रोटी उसे साफ कर देती है।  अब आप ही बताइए उसे में क्यों त्यागूं।  इसी प्रकार यह जौ  की रोटी मेरे शरीर को साफ करेगी जिससे मेरा मन  साफ और शुद्ध रहेगा।  अतः बादशाह उस फकीर का जवाब पाकर अपने राज्य में लौट आए।
 
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है  कि - हमेशा मनुष्य को अपनी मेहनत का खाना ही खाना चाहिए।

  
35. Princess Story |Akbar birbal stories in hindi short

एक राजा था।  वह  बड़ा प्रजा पालक था।  और वह बड़ा ही दानी और न्याय प्रिय राजा था।   उसे नई - नई इमारतें बनवाने का शौक था।  एक बार राजा ने अपने लिए एक अनोखा महल बनवाने का विचार किया। 

बहुत बड़ा तालाब खुदवा कर बीच में संगमरमर का महल बनवाया, और तालाब में पानी लबालब भर दिया था।  घाट  भी बड़े सुंदर  बनाए थे।  जिनके चारों तरफ संगमरमर की बुर्जियां  शोभायमान थी।
 
उस राजा के राज्य में जो भी परदेसी आए तो राजा उससे यही पूछे कि तुम्हारे राज्य में ऐसा महल है क्या।  और जब लोग कहे कि नहीं महाराज।  ऐसा सुंदर महल  तो हमने  आज तक कहीं नहीं देखा, तब राजा बहुत खुश हो जाते थे।  जब चारों तरफ नए महल की धूम मच गई। 

तो राजा ने कहा अब पंडितों से मुहूर्त निकलवा कर नए  महल में गृह प्रवेश किया जाए।  और दूसरे दिन ही रा जा ने शुभ मुहूर्त  निकलवाया।  बड़े-बड़े पंडित बुलबाए और यज्ञ हुआ पूजा-पाठ हुआ। 
 
दीन दुखियों को भरपेट भोजन दिया गया, और चारों तरफ राजा की जय - जयकार होने लगी। राजा ने हुक्म दिया कि जैसा सुंदर मेरा महल  है वैसा ही उसे सजाना भी चाहिए।  

जब महल सज जायेगा तब में  यहाँ परिवार सहित रहने आऊंगा।  हुकुम की देर थी कि  महल को अच्छी तरह से सजा दिया गया।  सजावट देखकर सभी कहे कि अब तो राजा इंद्र का महल भी इसके सामने फीका लगेगा।  

संयोग की बात है कि उसी रात कैलाश पर्वत से भागी हुई भूतों की एक टोली महल के ऊपर से गुजरी।  भूतों के मुखिया ने इतना सुंदर महल देखा और वह भी सुनसान, तो बहुत खुश हुआ।  भूतों को सन्नाटे की जगह बहुत पसंद आती है।  इसलिए मुखिया के हुकुम से वह सब वहीं उतर पड़े।
 
अच्छी जगह बहुमूल्य सजावट और खाने पीने का बहुत बड़ा भंडार देखकर भूतों को बड़ा आनंद आया।  रात भर धमा - चौकड़ी मचाते रहे। सवेरे सूरज निकलते ही भूतों की ताकत कम हो जाती है।  

इसलिए  वह सभी कोने - कतरे में निर्बल और निस्तेज होकर दिन भर छिपे  रहते है   संयोग की बात है कि उसी दिन सवेरे राजा अपनी रानी और राजकुमारियों के साथ उस महल में रहने के लिए आए।
 
बड़ी धूमधाम हुई दिनभर गाना - बजाना खाना-पीना, राग - रंग चलते रहे।  भूतों को क्रोध आए कि राजा ने हमारी जगह छीन ली है।  मगर दिन में  भूत कुछ नहीं कर सकते थे।  जब रात हुई राजा -रानी, नौकर और दासिया  सब सो गए तो भूत मंडली एक जगह जमा हो गई। 

और यह विचार होने लगा कि अब कहां चला जाए।  भूतों का मुखिया अपनी नकसुरी आवाज में बोला हम कहीं नहीं जाएंगे यह महल तालाब के बीच में है।  इसलिए जो हमें कैलाश पर्वत से पकड़ने आएंगे उन्हें यहाँ का पता नहीं चलेगा।
 
ऐसा करो कि राजा रानी नौकर और बंदी सबको पलंग समेत  उठाकर तालाब में फेंक दो। हम यही रहेंगे।  भूतों के इस निश्चय से महल में हाहाकार मच गया।  सोते हुए राजा, रानियों समेत डेढ़ सौ दो सौ आदमी पानी में फेंक दिए।   बड़ा शोर - शराबा हुआ।  

कुछ मसाले जली, बचाओ - बचाओ आवाज चारों तरफ से सुनाई देने लगी।  राम-राम करके किसी तरह  राजा वगैरह सब लोग बचाए गए।  और वह सब लोग भाग कर फिर अपने पुराने महल में लौट आए।  कई रानियों को डर और पानी की ठंड के कारण बुखार गया।

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नमस्कार दोस्तों  "35 Best Akbar Birbal Stories In Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां इन हिंदी !" आपको अच्छी लगी  हो तो कृपया कमेंट और शेयर जरूर करेंइन कहानियों को पढ़ने के लिए आपका बहुत -बहुत  धन्यबाद  !!! आपका दिन मंगलमय हो !!!

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