आज हम इस आर्टिकल में Akbar Birbal Stories In Hindi के बारे में बताने वाले हैं। यह अकबर और बीरबल की कहानियां इन हिंदी में दी हुई हैं। इन कहानियां को पढ़ने में आपको बहुत ही मजा आने वाला है।
इसके अलावा हमने Akbar birbal chutkule in hindi एवं jokes akbar birbal Hindi me दिए गए हैं। कुछ Short story of birbal in hindi दी हुई हैं।
35 Best Akbar Birbal Stories In Hindi
1. भाग गया दिल्ली का पहलवान - Akbar Birbal Stories In Hindi
अकबर बादशाह के दरबार में एक दिन एक पहलवान आ गया। और बोला हुजूर ! मैं सम्राट कृष्ण्देवराय के दरबार में कई पदक जीत चुका हूं। मुझे पराजित करने वाला कोई पहलवान हो तो सामने आवे।फिर भी उन्होंने घोषणा की, मल्ल्युद्ध की स्पर्धा कल होगी। दूसरे दिन सुबह-सुबह बीरबल दिल्ली के पहलवान के डेरे में पहुंचा। बातचीत के बाद पूछा क्या तुम युद्ध के "स्वर, और "लय, से भी परिचित हो।
बीरबल ने कहा, तुम जानते हो तो कहना क्या ! आज का मल्ल युद्ध उसी "स्वर,, और "लय, की शैली में होगा। अच्छा अब मुझे आज्ञा दो अखाड़े में मिलेंगे। यह कहकर बीरबल ने पहलवान से हाथ मिलाया और वापस चला आया।
2. ऊँगली का संकेत कहानी - Akbar Birbal Stories In Hindi
अकबर बादशाह के दरबार में एक उच्च घराने का एक बड़ा होनहार सरदार रहता था। उसकी आजीविका एवं ग्रह खर्चे करने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं थी ।वह दोनों समय के दरबार में ठीक समय पर उपस्थित हुआ करता था। बड़ी मेहनत करके एक जोडी कपड़ा बस इसी कार्य के लिए रख छोड़ा था।
और ना ही उसके पास कोई धन बचा था। ऐसी लाचारी दशा का भुक्तभोगी सरदार फिर भी अपने बाप दादों का बनाया नियम को नहीं तोड़ता था। 1 दिन सफाई का काम बहुत ज्यादा आ गया था इसलिए कार्य व्यवस्था के कारण लाचार होकर दरबार में उपस्थित न हो सका।
तन्मय होकर चक्की चलाता ही रहा। नृत्य के समय पर बादशाह की सवारी निकली और मियां सरदार के घर के पास होकर चली। सरदार का घर जनसाधारण गृहस्ती की तरह कच्चा और 1 मंजिला मकान हुआ करता था।
मियां सरकार चक्की चलाते- चलाते दौसा बजना पूर्ण कर अपने आंगन से राजा की सवारी देख रहे थे। अचानक राजा की दृष्टि भी सरदार पर जा पड़ी। राजा ने सरदार को पहचान लिया।
तुरंत मन ही मन बात को दबाकर खामोश रह गए। कुछ दिन बाद 1 दिन फिर बादशाह का दरबार बड़े समारोह के साथ चला। एक मियां साहब भी सरदारों की तरह सज-धज कर अपने स्थान पर बैठे हुए थे।
और सरदार वाली बात फिर से स्मरण हो गई। पहली बात पूछने के लिए आज फिर भी उनका मन चंचल हो उठा परंतु विचार विनिमय के सामने हार माननी पड़ी। बात भी सच्ची थी। शोभा नहीं देता था।
अच्छी बात पर चाहे उनका ध्यान भले ही न जाता परंतु ऐसी बातें तो उनकी आंखों पर नाचा करती थी। सभी दरबारियों ने मियां और बादशाह के उपरोक्त संकेतों को देख लिया था।
मियां जी ने सबको बड़े आदर सत्कार के साथ बिठाया। थोड़ी देर बाद चांडाल चौकड़ी के मुखिया ने मियां जी से पूछा। महाशय जी कल दरबार के समय बादशाह के आने के बाद इसारो में आपसे क्या कहा था। एक वह संकेतक बात हम लोगों की समझ में नहीं आई।
इनको उल्लू बनाकर फसाना चाहिए। उसने उत्तर दिया ! वो तेरी बाते मेरे कहने योग्य नहीं होती उनका भेद खुल जाने से बड़ा नुकसान होता है। चांडाल चौकड़ी का मुखिया आग्रह पूर्वक जोर-जोर पूछने लगा तब फिर मियां सरदार जी बोले।
मियां जी फिर भट्ट की बात सुनाकर चांडाल चौकड़ी को घबरा दिया और उस सबों ने अपनी भविष्य की भलाई के लिए उनके रिश्वत देने का विचार प्रकट किया।
मियां जी मजे में पक्की मारकर सब देख रहे थे। अपनी-अपनी टोपी सरदार के कदम पर रखकर बोले सरदार जी कृपया करके हमारी यह बातें अपने पेट में ही रखना। खुलने न पावे।
चांडाल चौकड़ी इसका घूस देकर वहां से भाग खड़े हुए। दूसरे दिन बादशाह , मिया सरदार के घर गया। मियां जी ने बड़े आदर सत्कार के साथ बादशाह का स्वागत किया और एक कुर्सी पर बिठाया।
फिर इतना धन कहां से आया। मियां जी मुस्कुराते हुए बोले जहाँपनाह कल आपने दरबार में जो मेरे लिए संकेत दिया था। यह सब उसी का फल है। बादशाह को इतने से संतुष्ट नहीं हुआ तो उनके मुख से सारी बातें और भी स्पष्ट करना चाहते थे।
3. बहरूपिया द्वारा सिंह का सॉन्ग - Akbar Birbal Stories In Hindi
एक दिन दिल्ली के काजी से बीरबल की धर्म संबंधी चर्चा छिड़ी। जब काजी सब प्रकार से हार गया तो उसे अंदर ही अंदर ऐसी बात के लिए बड़ी लज्जा उत्पन्न हुई।और वहां अपना नाम व पता छिपाकर बहुरूपिया का रूप लेकर रहने लगा। जब वह उस कार्य में होशियार हो गया तो बहुरूपिया का रूप धारण कर दिल्ली लौटा।
एक दिन शाम को सिपाही भेजकर उसे बुलाया और और उससे कोई नया सॉन्ग दिखाने की आज्ञा दी। वह बोला महाराज ! मैं सिंह का स्वांग करना का बहुत अच्छी तरह जानता हूं।
बादशाह ने उसे एक खून की माफी दे दी। जब बेहरूपिया अपने घर चला गया तो बादशाह बोले बीरबल जाते समय बेहरूपिया कहता गया के बिना बीरबल के स्वांग नहीं दिखलाया जाएगा इसलिए उस समय तुमको भी वहां उपस्थित रहना होगा। लाजमी है।
सभी लोग उसकी कला पसंद करने लगे। इतने में वह बनावटी शेर बीरबल पर झपटा। यह दृश्य देखते ही लोगों को बीरबल के मरने की आशंका हुई। बहूरुपिये ने बीरबल को मार डालने के विचार से अधिक परिश्रम किया।
बीरबल तो पहले ही से इसकी कपट मुद्रा को जान गए थे। इस प्रकार बीरबल पहले से ही अपने शरीर पर शुद्र कवच पहन कर आया था। उसके शरीर को जख्म ना पहुंच सका।
बीरबल ने कहा कि उसको 12 महीने के लिए दीवान पद पर नियुक्त करना चाहिए। बहरूपिया का यह सुनकर रोम रोम प्रफुल्लित हो गया। बीरबल ने कहा जो सती का स्वांग ठीक - ठीक करके दिखलाए तो ऊपर की शर्तें मानी जाएगी अन्यथा नहीं। बादशाह ने उस बात को अपनी जुबान से दोहरा कर बहुरूपिया को कहा।
तो कल सती का सही-सही सॉन्ग कुशलता पूर्वक दिखलाएगा तो तुझे 1 वर्ष का दीवान पद दिया जाएगा। और यदि चूक जाओगे तो प्राण दंड दिया जाएगा।
कुंड को देखते ही बहुरूपिया का होश ठिकाने न रहा। उसने समझ लिया कि कल का प्रतिशोध करने के लिए ही बीरबल ने खुराफात खड़ा किया है। अब यहां से जान बचा कर बाहर निकलना कठिन है।
परंतु फिर भी अनेक कठिनाइयां उपस्थित होने की संभावना पाकर चुप हो गया। अंत में जब सती का स्वांग दिखलाते - दिखलाते अग्नि में प्रवेश का समय आया। तो उस समय अग्नि कुण्ड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिया।
इतना ही नहीं बल्कि बादशाह के सामने बीरबल ने कई गवाहों द्वारा गवाही दिलवा कर अपनी बात प्रमाणित कर दी। बादशाह बीरबल की युक्ति से बड़े प्रसन्न हुए और नीति पूर्वक बल से शत्रु के मरने की चाल उन्हें बहुत पसंद आई। इसके बदले बीरबल को कुछ इनाम भी दिया।
4. बेवकूफों की सूची - Akbar Birbal Stories In Hindi
एक बार राजा अकबर के दरबार में एक अरब देश के घोड़ों का व्यापारी कुछ घोड़े लेकर आया। अकबर बादशाह को अरबी घोड़े बहुत पसंद थे और उन घोड़ों को देखकर उनका मन खरीदने के लिए ललचा गया। उसके पास जितने घोड़े थे।कुछ समय बाद अकबर बादशाह ने बीरबल से कहा कि हमारे राज्य में मूर्खों की संख्या बहुत अधिक है इसलिए राज्य में जितने भी मूर्ख हैं उनकी नामावली हम देखना चाहते हैं।
उसको आपने बिना नाम पता जाने ही उसे 1000 रूपये एडवांस दे दिया। जरा ध्यान पूर्वक विचार कीजिए यदि वह व्यापारी घोड़े न लाए तो आप उसका क्या कर सकते हैं।
5. दाढ़ी मैं कितने बाल हैं ? | Akbar Birbal Stories In Hindi
1 दिन दरबार में बैठे हुए बादशाह ने पूछा तुम तो अपनी पत्नी का हाथ दिन में एक दो- दफा हाथ अवश्य स्पर्श करते होगे। तो क्या आप बता सकते हो कि तुम्हारी पत्नी के हाथ में कितनी चूड़ियां हैं।कुछ देर तक विचार कर बीरबल बोले जहांपनाह ! मेरा हाथ तो मेरी पत्नी के हाथों से दिन में एकाध बार ही स्पर्श होता होगा। लेकिन आपका हाथ तो आपकी दाढ़ी में दिन भर में 10 पांच बार लगता होगा।
वीरपुर बोले जहांपनाह! स्त्रियां अपने पसंद के अनुसार कोई कम तो कोई ज्यादा चूड़ियां पहनती हैं। अतः निश्चित तादात के बिना गणना बतलाना असंभव है।
बाद शाह यह सुनकर बोले कभी उसको गिनने का अवसर ही न मिला। तब बीरबल बोले जहांपनाह। सीढ़िया कभी बढ़ाई नहीं जा सकती इस पर भी आपने निश्चित संख्या नहीं बतलाई तो में चूड़ियों की तादाद कैसे बतलाऊं।
6. कंजूस शूम कहानी - Akbar Birbal Stories In Hindi
दिल्ली में एक लालची शूम रहता था। वह अपने परिश्रम और कृपडता के कारण रत्नों का एक बड़ा जखीरा इकट्ठे किए हुए था। यह उन रत्नों को एक साधारण बंदूक में छुपा कर रखे हुए था।एक दिन देव योग के कारण मध्य रात्रि में उसके घर में आग लगी। कंजूस उस आग को बुझाने की कोई तरकीब न देखकर कुछ साधारण कपड़ों को लेकर घर से बाहर निकल गया।
लोहार ने कहा वह धन कहां और किस चीज में रखा हुआ है। तब शूम बोला बगल की एक कोठरी दिखाते हुए बोला इसी कोठरी में एक काट की पुरानी संदूक रखी हुई है।
और लोहार अग्नि से बचने की तरकीब जानता था। इसलिए उस जलती हुई आग में आंख बंद कर कूद पड़ा और कोठरी में पहुंचकर उस काठ की संदूक को बाहर निकाल लाया। इस प्रकार पिटारे को अपने बगल में रखकर अग्नि कांड देखने लगा।
एक उस जगह के दो मनुष्यों को अपना गवाह बना लिया था। गवाह के सामने ही वह पिटारी खोली गई। पिटारी खोलते ही जवाहरातों की चमक बाहर तक फैल गई।
कंजूस लोहार की ऐसी अनीति देखकर बहुत चकराया और गिड़गिड़ा कर कहने लगा भाई आधा धन मुझे दे दो और बाकी आधा धन आप ले लो। इसमें मेरी राजी है।
सुमरा ने आधे रत्नों को पाने के लिए बहुत तेरा प्रयास किया। परंतु लोहार ने उसकी एक भी नहीं सुनी। शूम ने लाचार होकर बादशाह के पास अर्जी गुजारी। मामला पेचीदा देखकर बादशाह ने बीरबल को बुलाया।
और उन स्थानों को प्रथक - प्रथक दो कागजों पर लिख कर उस पर उसके हस्ताक्षर कराए। फिर उन दोनों से भरी सभा में राजी लेकर प्रमाणित कराया।
7. अक्षरा और पिशाचिन कहानी - Akbar birbal ki kahaniya in hindi
एक दिन बादशाह को अप्सरा और पिशाचिन को देखने की बहुत ही इच्छा हुई। बीरबल सभा में आते -आते अपनी जगह बैठे ही थे कि बादशाह ने उनको पूछ लिया। कि बीरबल यह बताओ कि आपने पिशाचिन और अप्सराओं को देखा है।जब सवेरा हुआ तो बीरबल अपनी स्त्री और उस वैश्या को लेते हुए बादशाह के दरबार पहुंचे। बादशाह को अपनी स्त्री दिखा कर बोले यह गरीब जरूर है लेकिन यह स्वर्ग की अप्सरा है। क्योंकि इसकी सेवाओं से मुझे बड़ा आराम मिलता है।
यह स्त्री से मुझे स्वर्ग के समान सुख मिलता है। अब बीरबल ने उस बाजारू वेश्या को लाकर बादशाह के सामने हाजिर किया। बादशाह ने कहा। यह तो बड़ी सुंदरी है। इसके आभूषण और स्वच्छ वस्तुओं से इसकी सुंदरता और भी बढ़ गई है।
8. बाग और जंगल अंतर - Akbar birbal ki kahaniya in hindi
एक दिन बादशाह जंगल में शिकार खेलने जा रहे थे। रा स्ते में एक जंगली औरत को लड़का पैदा होते देखा। और औरत लड़का जनते ही उसे टोकरी में रख माथे पर उठा खुशी-खुशी गांव की तरफ चली गई।बादशाह का मन बेग मो की तरफ से फिर गया। और उसी दिन से कतई उनसे बोलना चा लना बंद कर दिया। बैगमें, बादशाहा के इस अ कारण कोप से बहुत घबरा गई।
9. आम का छिलका कहानी - Akbar birbal ki kahaniya in hindi
आम का नाम भारतवर्ष के उत्तम फलों में लिखा जाता है। 1 दिन गर्मी के मौसम में किसी राजा ने उत्तम उत्तम आमों की कई टोकरिया बादशाह के पास भेजी। वह आम अपनी -अपनी उत्तम ता के लिए पहले ही सराहे जा चुके थे।10. मोम का शहजादा कहानी - Akbar Birbal Stories In Hindi
एक दिन बादशाह ने बीरबल से कहा कि तुम्हारे धर्म ग्रंथों में यह लिखा है कि सुदामा की आवाज सुनकर कृष्ण जी पैदल दौड़े थे। न तो नौकर को ही साथ लिया और ना सवारी पर ही गए। इसकी वजह समझ में नहीं आती क्या उनके यहां नौकर नहीं थे। बीरबल बोले कि इसका भी उत्तर आपको समय आने पर ही दिया जा सकेगा।कुछ दिन बीतने पर 1 दिन बीरबल ने एक नौकर जो शहजादा को इधर-उधर टहलाता था। उसे एक मॉम की बनी हुई वस्तु दी। जो २० किलो बजनी बादशाह के पोते की तरह की थी।
आज मूर्ति को भी लेकर जाना परंतु उस जल कुंड के पास पैर फिसल जाने का बहाना कर गिर पड़ना। और देख सावधानी से इस तरह से गिरना कि तू जमीन में लेकिन मूर्ति पानी में अवश्य चली जाए।
अब तो बादशाह का साथ जाता रहा वह कुंड की ओर लपके और कुंड में कूद कर मूर्ति को लिए पानी में से निकले। अब उन्हें अपना भ्रम मालूम हुआ। बीरबल जो उस वक्त वहां उपस्थित थे। और बोले !
11. जूतों के मारे खड़े हैं - Akbar Birbal Stories In Hindi
बीरबल की बात उसकी समझ में ना आए क्योंकि बादशाह के जूते चोरी हो जाने की खबर उसको नहीं थी। उसने समझा के के हंसी मजाक कर रहा है।
जैसे लखन ने अपने कपड़े दिखाए तो राजा के जूते उसी में मिल गये । यह लखन को नीचा दिखाने का बीरबल के पास बहुत ही अच्छा अवसर था। रह-रह कर एक-एक बात राजा को बोल देते।
और वह नाराज हो गए। और तुरंत ही बीरबल को बुलाने का आदेश दिया और उनसे पूछा गया। तब बीरबल ने नम्रता पूर्वक उत्तर दिया जहांपना मैंने कोई ऐसी अपमानजनक बात नहीं कही।
परेशान किसी दूसरे ने किया और दंड कोई दूसरा भुगत रहा है। जहाँपनाह जरा न्याय की दृष्टि से देखें मैंने बिनम्र स्वभाव से ऐसी बात कही थी उसमें कोई छल कपट नहीं था। इस प्रकार बीरबल की बात सुनकर बादशाह हंस पड़े और उन्हें क्षमादान दिया।
12. लड़के की हट कहानी - Akbar birbal chutkule in hindi
1 दिन दरबार में बादशाह अकबर जब पधारे तो देखा कि बीरबल नहीं है। बीरबल के न रहने से कामकाज बिल्कुल ही बंद हो जाता था। आज दरबार में आने के लिए उन्हें पहले से कहीं ज्यादा देर हो गई थी।नौकर को वापस आए एक से ज्यादा घंटा बीत गया तो राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। किंतु उसी छड़ उन्होंने विचार किया कुछ आवश्यक कार्य से ही वह रुके हुए होंगे। बादशाह को अब बीरबल की प्रतीक्षा नहीं हो पा रही थी।
और बादशाह ने दो सिपाहियों को बीरबल को घर से लाने के लिए भेज दिया। डरते डरते सिपाहियों ने बीरबल से बादशाह का संदेश सुनाया। तो बीरबल समझ गए कि अब देर करना उचित नहीं है।
बादशाह ने बीरबल से हुकुम अदली का कारण पूछा। बीरबल बोले जहांपनाह मेरा लड़का रो रहा था और मैं उसे बहलाने और उसको चुप करना चाहता था। लेकिन वह अपनी ज़िद पर रुका रहा। बादशाह बोले यह तुम्हारी कोरी बनावटी बातें हैं लड़की को बहलाना बहुत छोटी बात है।
अच्छा बताओ भला कौन सी ऐसी बात थी जिससे लड़का नहीं मानता था। तो वह चाहता था तुम उसे देते तो लड़का क्यों रोता। तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया यह अच्छा नहीं हुआ। क्या करोगे तुम्हें निश्चय ही सजा दी जाएगी।
बीरबल बोलो जहांपना मैंने उस लड़के को शांत करने का बहुत ही प्रयास किया किंतु असफल रहा। बादशाह बोले लड़का क्या चाहता था बीरबल ने उत्तर दिया जहांपना सुनिए में शुरू से अंत तक सब बातें कहता हूं।
लड़का रो रहा था मैंने उसे पूछा बेटा क्या लोगे ! क्यों रो रहे हो पहले तो उसने मेरी बातों को सुनी अनसुनी कर दिया जब मैं लगातार पूछता ही रहा तो और बोला कि गन्ना लूंगा। में उसे लेकर बाजार गया जहां गन्ना बिक रहा था। मैंने गन्ने के बोझ की ओर इशारा करके कहा जो चाहे उसमें से ले लो।
किंतु उसे संतोष न हुआ और बोला इसमें से तुम् अच्छे से निकाल लो। मैंने वैसा ही किया किंतु उसे तो रोने की धुन सवार् थी। वह फिर रोने लगा। पूछने पर पता चला कि वह छोटी-छोटी गड़ेरिया बना कर खाना चाहता है।
13. बीरबल का राज्य से जाना - Akbar birbal ki stories in Hindi
एक बार किसी कारणवश बादशाह ने बीरबल से नाराज होकर बीरबल को राज्य छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर जाने का आदेश दिया। आज्ञा पाकर बीरबल किसी दूसरे गांव में भेष बदलकर जीवन यापन करने लगे। बीरबल स्वाभिमानी पुरुष होने के नाते पुरुषोत्तम थे। बादशाह के बिना बुलाए कैसे आते।उसी उपरांत 1 दिन बादशाह को उनकी याद आई तो मिलने के लिए बादशाह बहुत ही लालायित हो उठे। लेकिन किसी को उनका पता व ठिकाना भी मालूम नहीं था।
उसे 1000 अशरफिया पुरस्कार रूप में दी जाएगी। इस घोषणा की खबर सारे शहर और गांवों के बीच बिजली की भांति दौड़ गई। सभी के मुंह में पानी भर आया कि लेकिन किसी को कुछ भी न सूजा।
और बादशाह के सामने खड़ा होकर बीरबल द्वारा बताए गए निवेदन को क ह सुनाया। बादशाह समझ गए कि यह किसान के दिमाग की उपज नहीं और किसान से बोले कि तुम ठीक ठीक बतला दो कि यहां यह उपाय तुमको किसने बनाया।
किसान ने पूरा हाल ठीक- ठीक बता दिया कि एक बीरबल नामक ब्राह्मण जो कुछ दिनों से हमारे ही गांव में आकर रहता है उसने मुझे ऐसा करने के लिए कहा।
एक साई को तोता पालने का बड़ा शौक था। नित्य प्रति नए-नए तोते फसाना था और यही नहीं उन्हें काफी सिखाता पढ़ाता भी था। जब तोता अच्छी तरह बोलने लगता तो नगर के अच्छे शौकीनों को ले जाकर नज र कराता था।
बादशाह ने इसकी हिफाजत का प्रबंध एक विश्वासपात्र नौकर को सौंपा और उसे आज्ञा दी कि इस के स्वभाव में किसी किस्म का गलत एव ना आए। और यदि किसी के द्वारा मुझे इसकी मृत्यु का समाचार ज्ञात हुआ तो उसे जान से मरवा दूंगा।
और बड़ बढ़ाते कहते हैं कि आपका तोता तो.. बादशाह इसका मतलब नहीं समझ सके। और बोले क्या तोता मर गया ! बीरबल बोले जहांपनाह मरा नहीं मैं तो यह कहने आया हूं। कि तोते ने अब समाधि ले ली है।
परंतु यदि मैंने ऐसा ही कह दिया होता तो जीवन गवाना पड़ता। बादशाह को अब अपनी प्रतिज्ञा याद आई। तो बीरबल से बहुत खुश हुए। इस तरह अपनी बुद्धिमता से बीरबल ने तोता रखवाले के प्राण बचाए।
14. लकीर को छोटी कैसे करें - jokes akbar birbal Hindi me
एक दिन की बात है। अकबर बादशाह ने अपने सेवादार से एक कागज और एक पेंसिल लाने को कहा। और उन्होंने कागज पर पेंसिल से एक लकीर खींची।और बोले कि देखिए महाराज ! अब आप की लकीर इससे छोटी हो गई। यह देख कर अकबर बादशाह बहुत खुश हुए और बीरबल को कुछ इनाम भी दिया। उस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि बुद्धिमानी से सब कुछ संभव है।
15. आपकी बारी कैसे आती - jokes akbar birbal Hindi me
बादशाह ने बीरबल से कहा, अगर बादशाहत हमेशा कायम रहती यानी जो बादशाह होता वह सदैव ही शासन करता ही रहता तो कैसा होता। बीरबल ने तत्काल स्वाभाविक नम्रता पूर्वक उत्तर दिया जहांपनाह !
16. दो गधों का बोझ - Akbar birbal ki stories in Hindi
एक दिन बादशाह, बीरबल और बादशाह का शहजादा तीनों राज्य से बाहर किसी गांव में प्रातः काल टहलने गए हुए थे। प्रात कालीन शीतल मंद - मंद वायु के मिलने से उन लोगों का चेहरा अत्यधिक प्रफुल्लित था।इधर शहजादे ने भी अपने पिता को देख अपना लवादा उतार कर बीरबल को दे दिया। जिसे बीरबल ने कंधे पर रख लिया। बादशाह बीरबल से उपहास करने लगे।
17. चतुर और मूर्ख की कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi
बादशाह ने एक दिन बीरबल से पूछा कि दुनिया में चतुर और मूर्खों की क्या पहचान है। बीरबल बोले के अवसर से जिसकी बुद्धि काम आए यानी युक्ति युक्त जिसका उत्तर हो वह चतुर है। जिसका विपरीत यानी सामाजिक उत्तर ना हो वह मूर्ख है। यह सुनकर बादशाह बहुत प्रसन्न हुए।
18. मुझे हंसा दो एक कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi
1 दिन बादशाह बीरबल से बोले यदि तुम मुझे हँ सा दो, तो मैं तुम्हें मनमाना इनाम दूंगा। इस पर बीरबल ने कहां ठीक है हुजूर। और बीरबल ने हंसाने का प्रयत्न किया। परंतु बीरबल बादशाह को हंसाने में असमर्थ रहे।19. हुजूर गधे आ रहे हैं - एक हास्यप्रद कहानी !
एक समय बादशाह लड़ाई में युद्ध जीतकर बड़े प्रसन्न हुए और बीरबल को बहरूपिया का कोई निराला स्वांग दिखला ने की आज्ञा दी। बीरबल एक दूसरी जगह वहां से उठकर चला गया। और कुमहार की सूरत बना अपने साथ एक गधा लिए हुए मार्ग में मिला।
20. आधा आपका - कहानी - Akbar birbal ki stories in Hindi
21. उत्तम जल किस नदी का है - jokes akbar birbal Hindi me
गर्मी के मौसम में 1 दिन बादशाह बीरबल के साथ किले के ऊपर से जमुना जल की गंभीरता और नीर देख रहे थे। अचानक उनका मन दूसरी तरफ चला गया। कुछ देर सोचने के बाद बीरबल से बोले। सबसे उत्तम जल किस नदी का माना जाता है।22. फांसी से मुक्त कर दो - Akbar birbal ki stories in Hindi
एक दिन एक बुड्ढा ब्राह्मण किसी विशेष अपराध में गिरफ्तार होकर अकबर बादशाह के दरबार में लाया गया। बादशाह ने उसका अपराध समझ कर उसको फांसी की सजा दी। उसी समय बीरबल भी घूमता - फिरता आ पहुंचा।
23. पा खाने में चित्र - Akbar birbal ki stories in Hindi
एक बार बादशाह को किसी आवश्यक कार्य बस बीरबल को एक दूसरी राजधानी में भेजना पड़ा। वहां के राजा का बीरबल के बुलाने का असली अभिप्राय बादशाह का उपहास करके उसे नीचा दिखाने का था।
24. आप मुझ को चाट रहे थे और मैं आपको चाट रहा था। कहानी !
एक दिन बादशाह बीरबल के घर गए। बीरबल अभी शाम के समय पूजा अर्चना कर रहा था। जब उनकी बीरबल से मुलाकात हुई तो कुछ देर कुशल - प्रश्न के बाद अपनी बातें छेड़ी। बादशाह ने कहा- बीरबल, आज मैंने एक अजीब सपना देखा है।25. कौन सुखी है - Short story of birbal in Hindi
एक दिन बादशाह ने किसी एक नग्न पुरुष को देखा और क्षोभित होकर बीरबल से पूछा संसार में कौन सुखी है। मैं इस संसार के मनुष्य का नाना प्रकार के भेस-बूसा और ईश्वर पूजा का विभिन्न उपाय देखकर बड़े असमंजस में पड़ गया हूं।
जो ऊपर से तो बड़े सुखी ज्ञान पढ़ते हैं परंतु उनके अंत करण में दुख व्याप्त रहता है। तब उनको भी सुखी नहीं कहा जा सकता। मेरे सिद्धांत से सब का निचोड़ यही है कि जो मनुष्य सुख पूर्वक मरे !
26. दौलत ड्योढ़ी पर हाजिर है - jokes akbar birbal Hindi me
1 दिन बादशाह ने किसी कार्य में गलती करने के कारण अपने दौलत नाम के पुराने सेवक पर नाराज होकर उसे नौकरी से निकाल दिया। बेचारा सेवक अपनी बचत का कोई दूसरा उपाय न देखकर बीरबल के पास गया।27. ब्राह्मण का पैर तीर्थ है - Short story of birbal in hindi
28. दिल्ली में कोए की गिनती - jokes akbar birbal Hindi me
1 दिन बाद शाह सबसे पहले दरबार में आए। और बाद में जितनी दरबारी आते गए सब से बराबर यही पूछते गए - दिल्ली में कौए की गणना कितनी है। सभी दरबारी चुप रह गये, किसी ने झूठ-सच कुछ भी उत्तर नहीं दिया।केवल दिल्ली नगर में 5685 कौवे निकले थे। जहांपना , बीरबल से कौए की स्पष्ट गणना सुनकर आश्चर्यकित हुए। और बोले बीरबल ! तुमने पिछले साल कब गणना कराई थी
बादशाह ने कहा इसमें एक भी नंबर की कमी होगी तो तुम से 5000 हजार सात सौ 30 रूपये दंड लिए जाएंगे। आज शाम तक मौका है , भ ली- भाँ ति सोच विचार कर उत्तर दो।
29. औशान सच्चा है - Short story of birbal in hindi
एक दिन बादशाह ने बीरबल की बुद्ध - परीक्षा के नमित बीच गली में एक मस्त हाथी को छुड़वा दिया। एक तरफ से घूमता हुआ हाथी चला और दूसरी तरफ से बीरबल आ रहा था।
एक कुत्तिया गली के बगल में बैठी थी। बीरबल ने कुतिया की दोनों पिछले टांगे पकड़ घुमा कर हाथी के मस्तक पर दे मारी। चोट खाकर कुत्तिया चिल्लाने लगी।
30. बीरबल को मुह पीछे गालियां - Short story of birbal in hindi
बीरबल के बादशाह के दरबार बहुतेरे कुछ शत्रु भी थे। एक बार किसी शत्रु ने रास्ते के चौराहे पर एक कागज चिपका दिया। और शुरू से आखिर तक बीरबल को गालियां लिखी गई थी।उसने फौरन नौकर को हुक्म दिया कि इनको वहां से उखाड़कर और नीचे चिपका दें। हुकुम पाते ही नौकर ने कागज को और नीचे चिपका दिया। फिर बीरबल एक चित्र जनता को संबोधित कर बोला।
31. अब तो आन पड़ी है - Akbar birbal stories in hindi short
बादशाह अकबर को ठिठोली बड़ी प्रिय थी, 1 दिन नगर के बनिए से ठिठोली करने की इच्छा हुई। वह दिल्ली के समस्त बनियों को बुलवाकर बोले। आज से तुम लोगों को नगर की चौकीदारी करनी पड़ेगी।तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पाजामे को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय नगर में चिल्ला - चिल्ला कर कहते फिरों ! अब तो आन पड़ी है अब तो आन पड़ी है।
फिर अपना भीतर हंसी का भाव छुपाकर ऊपर के मन से बोले। भाई क्या बात है। उन्होंने कहा महाराज ! हम बनिए जन्म से गुण और तेल बेचने का काम सीख आए हैं।
32. भंगी भी मुसलमान नहीं - Akbar birbal stories in hindi short
1 दिन बादशाह का दिल मजहबी झोके में हिलोर मार रहा था। इसी बीच देवात बीरबल भी वहां आ पहुंचा। बादशाह ने कहा ! बीरबल तुम मुसलमान मजहब क्यों नहीं अपना लो।तुम लोग खूब सावधान रहो। बादशाह तुम्हें मुसलमान बनाना चाहते हैं। यह बात सुनकर सब महतर भड़क उठे। और वे अपना डेपुटेशन बनाकर बादशाह के पास पहुंचे।
जहांपनाह। अब इतनी छोटी जात, भंगी भी धर्म नहीं छोड़ना चाहते। तो फिर दूसरों से कैसे इस बात की आशा की जाए। बादशाह को बीरबल की युक्ति पर हंसी आ गई। और बादशाह समझ गए कि यह बीरबल की ही कोई चाल है।
33. यह तो हमारा ही है - jokes akbar birbal Hindi me
एक ब्यक्ति इच्छा पूर्ण भोजन करके अपने पेट पर हाथ फेर रहा था कहीं से एक चौबे की दृष्टि उस पर जा पड़ी। चौबे ने कहा बा क्या कहना। बहुत अच्छा पेट है बीरबल ने उत्तर दिया - अच्छा देखो तुम ही रख लो तो कैसा हो। चौबे ने हंसकर कहा यह तो हमारा ही है।बीरबल चौबे के उत्तर को सुनकर हंस पड़ा।
34. सूडान की लोककथा | Akbar birbal stories in hindi short
सूडान के एक नगर में एक फकीर की बहुत ख्याति थी। वह फकीरों का उस्ताद माना जाता था। 1 दिन बादशाह को उस फकीर से मिलने की इच्छा हुई। तो बादशाह ने फकीर को अपने दरबार में पधारने का निमंत्रण भेजा ,लेकिन फकीर नहीं गया।आखिर एक दिन बादशाह स्वयं फकीर से मिलने के लिए पास आया। उसने उपहार स्वरूप पकवान फकीर को भेंट किए। फकीर ने आईना निकाला और उस पर एक ग्रास मल दिया। उससे उस फकीर का आईना धुँधला हो गया।
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि - हमेशा मनुष्य को अपनी मेहनत का खाना ही खाना चाहिए।
35. Princess Story |Akbar birbal stories in hindi short
एक राजा था। वह बड़ा
प्रजा पालक था। और
वह बड़ा ही दानी और
न्याय प्रिय राजा था। उसे
नई - नई इमारतें बनवाने
का शौक था। एक
बार राजा ने अपने लिए
एक अनोखा महल बनवाने का विचार किया। उस राजा के राज्य में जो भी परदेसी आए तो राजा उससे यही पूछे कि तुम्हारे राज्य में ऐसा महल है क्या। और जब लोग कहे कि नहीं महाराज। ऐसा सुंदर महल तो हमने आज तक कहीं नहीं देखा, तब राजा बहुत खुश हो जाते थे। जब चारों तरफ नए महल की धूम मच गई।
अच्छी जगह बहुमूल्य सजावट और खाने पीने का बहुत बड़ा भंडार देखकर भूतों को बड़ा आनंद आया। रात भर धमा - चौकड़ी मचाते रहे। सवेरे सूरज निकलते ही भूतों की ताकत कम हो जाती है।
बड़ी धूमधाम हुई दिनभर गाना - बजाना खाना-पीना, राग - रंग चलते रहे। भूतों को क्रोध आए कि राजा ने हमारी जगह छीन ली है। मगर दिन में भूत कुछ नहीं कर सकते थे। जब रात हुई राजा -रानी, नौकर और दासिया सब सो गए तो भूत मंडली एक जगह जमा हो गई।
ऐसा करो कि राजा रानी नौकर और बंदी सबको पलंग समेत उठाकर तालाब में फेंक दो। हम यही रहेंगे। भूतों के इस निश्चय से महल में हाहाकार मच गया। सोते हुए राजा, रानियों समेत डेढ़ सौ दो सौ आदमी पानी में फेंक दिए। बड़ा शोर - शराबा हुआ।
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