लटजीरा के फायदे एंव औषधीय गुण किसी चमत्कार से कम नहीं। जानिए

लटजीरा के फायदे एंव औषधीय गुण किसी चमत्कार से कम नहीं। जानिए | Latjeera ke fayde in Hindi हमारे शरीर के लिए एक जादुई औषधि है। आज हम आपको एक ऐसी दवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आपने देखा होगा लेकिन लटजीरा के फायदे से आप परिचित नहीं होंगे। यह एक ऐसी औषधि है जो पूरे भारत में पाई जाती है, लेकिन लोग इसे अलग-अलग नामों से जानते हैं, कहीं इसे लटजीरा (चिरचिता) कहा जाता है।

Latjeera ke fayde | Chirchita ke fayde

कहीं इसे अपामार्ग, ओंगा, मरकती के नाम से भी जाना जाता है, इसके फूल हरे और हरे रंग के होते हैं। गुलाबी। कलियाँ शामिल हैं। यह एक साधारण पौधा है। जो हमारे घरों के आसपास या बंजर खेतों और झाड़ियों में आसानी से मिल जाता है।

और इसके बीजों का आकार चावल जैसा होता है। लटजीरा का पौधा 1 से 3 फीट ऊंचा होता है और शाखाएं पतली होती हैं, पत्तियां अंडाकार होती हैं और इसके फूल पत्तियों के बीच से निकलते हैं। 

दोस्तों चिरचिता औषधि महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। तो आज हम आपको लटजीरा (चिरचिटा) के पौधे के गुण और उपयोग से परिचित कराते हैं।

भारत में मुख्य रूप से लटजीरा (अपामार्ग) पौधे की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से आयुर्वेद चिकित्सा में किया जाता है।

  • सफेद लटजीरा (अपामार्ग)
  • लाल लटजीरा (अपामार्ग)

लटजीरा के फायदे | Latjeera ke fayde in Hindi 

बुखार में लटजीरा के रस के फ़ायदे (Benefits of Latjeera juice in fever)

सर्दी-जुकाम के बाद बुखार हो तो चिरचिता के 15 से 20 पत्तों का रस निकालकर 10 मिलीलीटर शहद में मिलाकर सुबह-शाम पीने से तीन दिन में ही हमारा बुखार ठीक हो जाता है। 

Benefits of Latjeera juice in fever

आँखों की रोशनी बढ़ाने में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in increasing eyesight)

अगर किसी को रतौंधी की समस्या है तो चिरचिटा को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर 6 ग्राम रात में सोने से पहले लगातार तीन दिन जल के साथ पी ले तो रतौंधी से छुटकारा मिल जाएगा।

पेट के लिए लटजीरा के फ़ायदे (benefits of Latjeera for stomach)

अगर आपको पेट फूलने की समस्या है तो चिरचिता का चूर्ण और कुटकी का चूर्ण दोनों एक साथ लेने से पेट फूलने की समस्या समाप्त हो जाती है। 

रसौली के इलाज में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in the treatment of neoplasm)

लटजीरा (अपामार्ग) के लगभग 20 हरे पत्तों को 15 गर्म हरे दूध में पीसकर छान लें, देशी गाय के 20 मिलीलीटर दूध और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सात दिन तक रखें। है।

महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वे गर्भधारण नहीं करती हैं, दोस्तों लटजीरा (चिरचिटा) को दूध के साथ लेने से महिलाओं के गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

शीघ्रपतन की समस्या में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in the problem of premature ejaculation)

दोस्तों अगर आपको शीघ्रपतन की समस्या है तो लटजीरा (चिरचिटा) चूर्ण को 10 ग्राम पानी में पीसकर 3 ग्राम शहद और 250 ग्राम दूध में छानकर पीने से रोग पूरी तरह समाप्त हो जाता है।

Latjeera ke fayde in hindi 

शरीर की कमजोरी में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in weakness of the body)

अगर आपको अपने शरीर में कमजोरी महसूस होती है तो चिरचिता के बीज से बना हलवा खाएं, आपके शरीर को ताकत मिलेगी और आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी।

सांस की बीमारी में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in respiratory disease)

चिरचिता और काली मिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से श्वास रोग दूर होता है।

दांतो के समस्या में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in the problem of teeth)

अगर आपको पीले दांत या पायरिया या किसी भी तरह की दांतों की समस्या है तो लटजीरा के पेड़ की जड़ को निकालकर इससे कुल्ला करने से ये सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

लटजीरा के 4 से 5 पत्तों का रस निकालकर रुई से दांतों पर लगाने से दांत का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।

लटजीरा की जड़ में ब्रश करने से दांत दर्द, मुंह से दुर्गंध, मसूढ़ों की सूजन और दांतों का हिलना आदि की समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। इसके अलावा चिरचिता की जड़ दांतों को स्वस्थ, चमकदार और मजबूत बनाती है।

स्तनों की समस्या में लटजीरा के फ़ायदे (Benefits of Latjeera in breast problem)

प्रसव के बाद यदि किसी महिला के स्तनों में दूध कम हो जाता है तो लटजीरा की जड़ को बारीक पीसकर स्तनों पर लगाने से अधिक दूध बनता है। यह नुस्खा प्राचीन काल से ही बहुत उपयोगी रहा है। आदिवासी लोग आज भी इस नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं।

खुजली एंव कुष्ठ रोग में लटजीरा(अपामार्ग) के फ़ायदे (Benefits of Latjeera (apamarga) in itching)

अगर किसी को खुजली हो तो लटजीरा का काढ़ा बनाकर एक बाल्टी पानी में मिलाकर इससे स्नान करने से खुजली ठीक हो जाती है। 

लटजीरा (अपामर्ग) की जड़ को छाया में सुखाकर 50 ग्राम चूर्ण बनाकर 10 ग्राम लटजीरा के चूर्ण को समान मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर सुबह-शाम लगाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

लटजीरा के पत्तों का रस 10 मिलीग्राम, मूली के बीजों का चूर्ण आवश्यकतानुसार मिलाकर शरीर पर लगाने से कुष्ठ रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। 

सिर दर्द में लटजीरा (अपामार्ग) के फ़ायदे (Benefits of Latjeera (apamarg) in Headache)

लटजीरा की जड़ को पानी में घिसकर सिर दर्द पर लगाने से सिर का दर्द दूर होता है। इसके अलावा यह माइग्रेन में भी रामबाण औषधि है। इसके लिए लटजीरा के बीजों को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम सूंघने से माइग्रेन में बहुत लाभ मिलता है।

लिक्योरिया में लटजीरा के फायदे (Benefits of Latjeera in Liquorea)

लटजीरा (Achyranthes aspera) का उपयोग प्राचीन काल से ल्यूकोरिया के इलाज के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार 20 मिलीग्राम लतजीरा (चिरचिता) पंचांग के रस में 10 मिलीग्राम मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है। इसका सेवन सात दिनों से अधिक नहीं करना चाहिए।

मासिक धर्म संबंधी विकारों में चिरचिटा (लटजीरा) के लाभ (Benefits of Latjeera (Latjira) in menstrual disorders)

अगर किसी महिला को खुले में मासिक धर्म नहीं होता है तो चिरचिता की जड़ के रस में रूई भिगोकर लगभग 2 घंटे तक योनि में रखने से मासिक धर्म खुलकर आता है। इस प्रक्रिया को पांच दिन से ज्यादा न करें।

Latjeera ke fayde in Hindi

चिरचिरा (लटजीरा) पंचाग के रस में मिश्री समान मात्रा में मिलाकर सुबह खाली पेट पांच दिनों तक सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या दूर हो जाती है। 

इसका एक सप्ताह तक सेवन करने से मासिक धर्म की अनियमितता और मासिक धर्म के सभी विकारों में विशेष लाभ मिलता है।

मुँह के छालों के लिए लटजीरा (Latjeera for mouth ulcers)

अगर आपके मुंह में छाले हैं तो लटजीरा के लगभग 20 पत्तों का रस निकालकर उसमें 5 मिलीग्राम फिटकरी का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम गरारे करें। यह सिर्फ एक दिन में विशेष लाभ देता है। यह मुंह के छालों के लिए रामबाण नुस्खा है।

लटजीरा से किडनी की पथली का इलाज (Kidney stone treatment with Latjeera)

लटजीरा (अपामार्ग) के पौधे की ताजी जड़ 15 से 20 ग्राम लें या इसे पानी के साथ अच्छी तरह पीस लें। उदरशूल में समाप्त होने वाले शूल के उपचार में 10 से 20 वर्ष की अवधि के लिए शूल के रोगियों में सुधार किया जा सकता है।

Apamarg ki jad ke fayde | अपामार्ग की पत्ती खाने के फायदे

लटजीरा से जोंडो के दर्द में लाभ (Latjeera benefits in joint pain)

भारत में लगभग पचास प्रतिशत आबादी जोड़ों के दर्द से परेशान है। जोड़ों के दर्द की यह समस्या 50 से 60 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा होती है। खासकर महिलाओं में। इसके उपचार के लिए लटजीरा (अपामर्ग) के पत्तों का लेप बनाकर रात को दर्द वाली जगह पर रखने से दर्द में आराम मिलता है। 

अगर आपको कमर दर्द की शिकायत है तो लटजीरा और गिलोय के पत्तों का रस निकाल कर काढ़ा बनाकर पीएं। इससे कुछ ही घंटों में फायदा होगा।

लटजीरा से खांसी में लाभ (Cough benefits from Latjeera)

लटजीरा की जड़ को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। लौंग और काली मिर्च का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें। खासी में इसका खास फायदा है।

Cough benefits from Latjeera

50 मिलीग्राम चिरचिता की जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें देसी शहद बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है। खासी में भी काफी राहत है।

पुराने घाव को भरने में लटजीरा से लाभ (Benefits of Latjeera in healing old wounds)

50 ग्राम चिरचिता की जड़ को तिल के शुद्ध तेल में उबालकर छान लें। ठंडा होने पर कांच की बोतल या जार में भरकर रख लें। अब इसे अपने पुराने घाव पर लगाएं। घाव कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। यह एक एंटीबायोटिक दवा की तरह काम करता है। यह घाव को पकने से रोकता है।

लटजीरा (अपामार्ग) के 50 ग्राम बीजों के चूर्ण में 10 ग्राम देशी शहद मिलाकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट 15 दिनों के भीतर गहरे घाव को भर देता है। यह घाव भरने की रामबाण औषधि है।

लाल लटजीरा के फायदे एंव उपयोग (Benefits and uses of Red Latjeera)

चिकित्सा के क्षेत्र में सफेद लटजीरा (अपामार्ग) की तुलना में लाल चिरचिटा का प्रयोग कम होता है। इसके उपयोग और लाभ नीचे दिए गए हैं।

लाल लटजीरा के मूत्र विकारों में लाभ (Benefits of Latjeera in urinary disorders)

लाल लटजीरा के 20 मिलीग्राम रस में 10 मिलीग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब की जलन में तुरंत आराम मिलता है। पेशाब रोकना भी ठीक करता है। इसलिए पेशाब के सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और पेशाब खुलकर आता है।

बिच्छू के काटने पर लटजीरा से लाभ (Benefit from Latjeera for scorpion bite)

लाल चिरचिटा के पत्तों का रस बिच्छू के काटने वाली जगह पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है। और विष दूर हो जाता है।

लाल और सफेद अपमार्ग को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कुछ प्रमुख भाषाओं को निम्नलिखित नामों से जाना जाता है। जो इस प्रकार है। 

लाल लटजीरा के नाम (Names of Red Latjeera)

  • Hindi — लाल चिचिड़ा, लाल चिरचिटा
  • Telugu — उतरनी
  • Sanskrit- मरकटपीपली, ब्रंटफल
  • English — पर्पल प्रिंसेस
  • Tamil — चिरुकतालाटी

सफ़ेद लटजीरा (अपामार्ग ) के नाम (Names of White Latjeera or Apamarga)

  • Hindi — चिरचिटा , लटजीरा, चिरचिरा
  • Gujarati — अघेड़ो
  • Panjabi — कुत्री
  • Sanskrit — अपामार्ग, मयूरक, मर्कटी, खरमंजरी
  • English — वाशरमेन्स प्लांट्स
  • Assamese — अपंग
  • Malayalam — कटलती

आयुर्वेद चिकित्सा में लटजीरा का उपयोग [Achyranthes aspera uses in Ayurveda Medicine]

लटजीरा का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राचीन काल से 20 से अधिक बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। कुछ रोंगो में चिरचिता फायदेमंद है तो कुछ रोंगो में लटजीरा रामबाण साबित हुई है। 

और बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं। चिरचिता का पौधा मुख्य रूप से पत्तियों और जड़ों के रूप में प्रयोग किया जाता है।

लटजीरा (अपामार्ग ) के पौधों को कहाँ से प्राप्त करें (Where to get Latjeera (Apamarga) plants)

वैसे लटजीरा (चिरचिता) का पौधा भारत के सभी राज्यों में बरसात के मौसम में आसानी से मिल जाता है। अधिकतर यह बंजर भूमि, खेतों और नहरों के किनारे पाया जाता है। 

इस पौधे से आप इसकी पत्तियों और जड़ों को छाया में सुखाकर इसका चूर्ण अपने घर पर तैयार कर सकते हैं। अगर आप पाउडर नहीं बना पा रहे हैं तो आप इसका पाउडर Amazon से ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।  

निष्कर्ष - तो दोस्तों लटजीरा के फायदे एंव औषधीय गुण किसी चमत्कार से कम नहीं | Latjeera ke fayde in Hindi यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। कमेंट करके बताये। अपने दोस्तों को भी शेयर करे। धन्यबाद। 

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